बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों संग भेदभाव का आरोप

 कोविड सम्मान राशि में आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों को भी किया जाए शामिल:  डा0 डी0सी0 पसबोला



आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों संग भेदभाव का आरोप
संवाददाता
देहरादून। राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने आरोप लगाया हैं कि कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि देने में सरकार द्वारा आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। किघ ने कहा मंत्री कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंंह रावत द्वारा सिर्फ़ एलोपैथिक (स्वास्थ्य) विभाग के कार्मिकों के लिए ही कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं कोविड सम्मान राशि रू० 11,000/- देने की घोषणा की जिससेे यह स्पष्ट है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डा0 डी0सी0 पसबोला द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया है कि कोरोना काल में प्रत्येक आयुष चिकित्सक एवं स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। किसी ने रोगियों को ओपीडी में देखा, किसी ने सैम्पल लिया, किसी ने दवाई दी, किसी ने कोरोना के खौफ से डरे लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने हेतु काउंसलिंग की, किसी ने चैक पोस्टों में रात दिन ड्यूटी कर बाहर से आने वाले यात्रियों का परीक्षण किया। किसी ने आईशोलेशन केंद्रों, होम आईशोलेशन में अपना योगदान दिया। फिर भी सरकार द्वारा कोविड सम्मान राशि देते समय फ्रंटलाइन आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के योगदान को भुला देना दुर्भाग्यपूर्ण है, साथ में उनके मनोबल को भी गिराने वाला कदम है। आयुष प्रदेश में सरकार के इस भेदभावपूर्ण निर्णय से समस्त आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों में आक्रोश एवं हताशा व्याप्त  है।
डा0 पसबोला द्वारा बताया गया कि इस सम्बन्ध में संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डा0 के0एस0 नपलच्याल द्वारा निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं डा0 वाई0एस0 रावत को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को भी कोविड सम्मान पत्र एवं राशि प्रदान किए जाने की मांग की है। जिसकी प्रतियां आयुष सचिव, आयुष मंत्री डा0 हरक सिंह रावत एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भी भेजी गयी है।
सरकार के इस पक्षपात पूर्ण निर्णय की उपाध्यक्ष डा0 अजय चमोला द्वारा भी कठोर शब्दों में भर्त्सना की गयी। वहीं महासचिव डा0 हरदेव रावत द्वारा भी इस सम्बन्ध में आगे कार्यवाही करने की बात कही गयी है। 
प्रान्तीय होम्योपैथिक संघ द्वारा भी सरकार के इस पक्षपातपूर्ण निर्णय का विरोध किया गया है एवं शासन को पत्र लिखा गया है।

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