सेना के लिए साफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किया जायेगा प्रतिस्थापित
एजेंसी
नई दिल्ली। संचार अहम है एवं सभी सैन्य अभियानों के लिए काफी महत्वपूर्ण भी है। युद्व के मैदान में सेना के लिए काम्बैट नेट रेडियो (सीएनआर) संचार का मुख्य आधार है। सेना में समकालीन सीएनआर उपकरण केवल वायस कम्युनिकेशन को सपोर्ट करते हैं और इनमें डेटा ट्रांसमिशन क्षमता या तो सीमित है या फिर नहीं है।
प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदान किए जाने वाले फायदों से सैनिकों को लैस करने के लिए एवं नेट-केंद्रित युद्व में लड़ने हेतु सुसज्जित करने के लिए मौजूदा रेडियोज़ को स्वदेश में विकसित साफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) द्वारा जल्द ही प्रतिस्थापित किया जाना है।
एसडीआर में शोरगुल भरे स्पेक्ट्रम के वातावरण में बेहतर डेटा ट्रांसमिशन क्षमता, अधिक सुस्पष्ट आवाज और डेटा ट्रांसमिशन सटीकता है। एसडीआर सेना की सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्पष्ट और सुरक्षित मोड में अनेक वेवफार्म्स, सिस्टम की बेहतर सुरक्षा और बेहतर संचार को सपोर्ट करती है।
सेना मेक-2 श्रेणी के तहत वेरी/अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (वी/यूएचएफ) मैनपैक एसडीआर खरीदकर अपनी संचार प्रणालियों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया में है। विक्रेता प्रतिक्रियाओं के सफल मूल्यांकन के बाद अब 18 भारतीय विक्रेताओं को प्रोटोटाइप विकास शुरू करने के लिए परियोजना मंजूरी आदेश (पीएसओ) जारी किया गया है। यह अनुबंध डीएपी 2020 की बाय (इंडियन-आईडीडीएम) श्रेणी के प्रावधानों के अनुसार प्रोटोटाइप के सफल विकास के बाद किसी एक फर्म के साथ रखा जाएगा।
मेक-2 के तहत वी/यूएचएफ मैनपैक एसडीआर का विकास भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर होगा। यह सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति के अनुरूप है जो उन्नत संचार प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा।
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