रविवार, 11 अप्रैल 2021

आपकी मर्जी के बिना मोबाइल पर नहीं आयेंगे एसएमएस

 आपकी मर्जी के बिना मोबाइल पर नहीं आयेंगे एसएमएस



आप तय कर सकते हैं कि कौन मेसेज भेजेगा और कौन नहीं

एजेंसी

नई दिल्ली। अपने मोबाइल पर आने वाले अनचाहे एसएमएस से परेशान हैं तो घबराइये मत। इससे जल्द ही छुटकारा मिल सकता है। आगे से आप यह तय कर सकते हैं कि कौन आपको मेसेज भेजेगा और कौन नहीं। कंपनी या ब्रांड को यह भी कहा जा सकेगा कि आप किस दिन और किस समय प्रमोशनल मेसेज रिसीव करने की स्थिति में होंगे। इसमें समस्या यह है कि 400,000 से अधिक कंपनियों को खुद ही यह बताना होगा कि आप उनके एसएमएस रिसीव करने के इच्छुक हैं या नहीं। 

टेलिकाम आपरेटर फ्राड और अनचाहे एसएमएस को रोकने के लिए ब्लाकचेन आधारित मैकेनिज्म अपना रहे हैं जिसका तीसरा हिस्सा कंसेंट यानी सहमति है। टेलिकाम रेग्युलेटरी अथारिटी आफ इंडिया (ट्राई) ने टेलिकाम आपरेटर्स से इसे अपनाने को कहा है। आपरेटर्स ने दुनिया के सबसे बड़े ब्लाकचेन आधारित साल्यूशन डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलाजी के पहले दो एलिमेंट्स को लागू कर दिया है। 

इसका मकसद देश में मोबाइल फोन यूजर्स के एसएमएस ट्रैफिक पर नजर रखना है। लेकिन इसका तीसरा एलिमेंट यानी यूजर की सहमति सबसे चुनौतीपूर्ण और टाइम टेकिंग पार्ट है। इसकी वजह यह है कि करीब 400,000 कंपनियां रोज करीब एक अरब प्रमोशनल एसएमएस भेजती हैं।

भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल की ब्लाकचेन सर्विस प्रोवाइडर टेनलॉ प्लेटफार्मस के चेयरमैन उदय रेड्ढी का कहना है कि अगर एक अरब कस्टमर्स 400,000 कंपनियों के लिए कंसेंट देंगे तो इससे भारी डेटाबेस तैयार होगा। डीएलटी की अपलोड कैपेसिटी 100 टीपीएस की है। यानी इस पर 10 अरब कंसेंट अपलोड करने में तीन साल लगेंगे। जाहिर है कि इतने लंबे समय तक इसे रोका नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि आपरेटर्स का कंसोर्टियम इस समस्या को कम से कम समय में दूर करने के लिए काम कर रहा है। 

हालांकि ट्राई ने तीसरे चरण के क्रियान्वयन के लिए आपरेटर्स के समक्ष कोई समय सीमा नहीं रखी है। इस प्रोजेक्ट में आईबीएम और टेक महिंद्रा रिलायंस जियो के पार्टनर हैं। स्विगी, ऐमजान, स्टेट बैंक आफ इंडिया और नाइकी जैसी कंपनियां अपने ऐप्स या इन स्टोर परचेजेज और बिलिंग के जरिए आसानी से कस्टमर्स की सहमति ले सकते हैं। लेकिन देश में करीब 6.3 करोड़ छोटी इकाइयां हैं जो अपनी मार्केटिंग जरूरतों के लिए एसएमएस रूट का इस्तेमाल करती हैं या करना चाहती हैं।

इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए सिस्टम का मकसद एसएमएस के जरिए होने वाले फाइनेंशियल फ्राड्स को रोकना है। लेकिन सिम बेस्ड रूट से यह बदस्तूर जारी है। सिम बेस्ड रूट का मतलब पर्सनल मेसेजेज से है जो आफिशियल हेडर के बजाय फोन नंबर से आते हैं। बैंकरों को आशंका है कि कस्टमर्स का डेटाबेस बनाने और इसे टेलिकाम कंपनियों और सर्विस प्रोवाइडर्स जैसी थर्ड पार्टीज के साथ साझा करने से निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन का खतरा है। जानकारों का कहना है कि पहले दो चरण के सख्त नियम कमर्शियल एसएमएस चौनल की ग्रोथ के लिए घातक हो सकता है।

टेलीमार्केटिंग फर्म क्लेयरा के चीफ रेवेन्यू आफिसर अनिकेत जैन ने कहा कि कई ब्रांड्स ईमेल और वाट्सऐप जैसे प्रचार के दूसरे तरीकों पर विचार कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि वे एसएमएस के नियमों का पालन नहीं करना चाहते हैं लेकिन उन्हें पता है कि कंसेंट का रास्ता बहुत लंबा और चुनौतियों से भरा है। वे इससे बचना चाहते हैं।


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