कोविड मरीज के लिए रेमडेसिवीर से बेहतर सस्ती डेक्सामेथासोन!
एजेंसी
लखनउ। कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिवीर के लिए मारामारी मची है। लेकिन इसके बारे में विशेषज्ञ कहते है कि इस इंजेक्शन का कोई खास फायदा नहीं है इसलिए इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता नहीं दी।
रिसर्च सोसाइटी आफ एनेस्थीसिया एंड क्लीनिकल फार्माकोलाजी के सचिव और संजय गांधी पीजीआई के आईसीयू एक्पर्ट प्रो0 संदीप साहू के मुताबिक रेमडेसिवीर के पीछे भागने से कोई फायदा नहीं है। डाक्टर भी तीमारदार को इसके पीछे भागने के रोकें।
न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन के हाल के शोध का हवाला देते हुए प्रो0 साहू कहते है कि डेक्सामेथासोन सबसे सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा है। महज दो रूपये में मिलने वाली यह दवा एआरडीएस रोकने में काफी कारगर साबित होती है। ऐसा हमने में भी कोरोना मरीजों में देखा है खास तौर पर जिनमें लो आक्सीजन की जरूरत है । इनमें यह 8 से 10 मिली ग्राम 24 घंटे में एक बार देने से वेंटिलेटर पर जाने के आशंका कम हो जाती है।
शोध वैज्ञानिकों ने दो हजार कोरोना संक्रमित ऐसे मरीजों पर शोध किया जिनमें आक्सीजन लेवल 90 से कम था इन्हें डेक्सामेथासोन देने के बाद 28 दिन बाद परिणाम देखा गया तो पता चला कि इनमें मृत्यु दर कम थी। इसके साथ ही वेंटिलेटर की जरूरत कम पडी। रेमडेसिवीर केवल एक खास वर्ग में राहत दे सकती है। हाई आक्सीजन की जरूरत होती है। यह केवल पहले सप्ताह में ही देने से राहत की संभावना होती है।
तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की हवा की थैलियों में तरल जमा हो जाने के कारण अंगों को आक्सीजन नहीं मिल पाती है। गंभीर रूप से बीमार या कोरोना संक्रमित लोगों में सांस संबंधित तंत्र में गंभीर समस्या का सिंड्रोम हो सकता है। यह अकसर घातक होता है। एआरडीएस से पीड़ित लोगों को गंभीर रूप से सांस की तकलीफ होती है और वेंटीलेटर के सहारे के बिना वे खुद सांस लेने में असमर्थ होते हैं।
प्रो0 संदीप साहू कहते है कि नान कोविड मरीज जो आईसीयू में भर्ती होते है उनमें डेक्सामेथासोन एआरडीएस रोकने में कारगर रहा है। ऐसा हजारों मरीजों में देखा गया है। इस दवा की सही मात्रा देने से साइटोकाइन स्टार्म रोकने में सपफलता मिलती है। यह एंटी इंफ्रलामेटरी गुण वाली दवा है।
क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग संजय गांधी पीजीआई के हेड प्रो0 अमिता अग्रवाल ने बताया कि रेमडेसिविर कोरोना संक्रमित मरीजों में देने से कोई खास फायदा नहीं है। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन सालिडेटरी स्टडी में सामने आया है। कोरोना संक्रमित मरीजों में एआरडीएस की परेशानी होती है जिसमें फेफडे की कार्य शक्ति कम हो जाती है। आक्सीजन स्तर कम होने के साथ डेक्सामेथासोन, प्रेडनिसोन दवा सही मात्रा में देने से काफी हद कर फेफड़े को बचाया जा सकता है।
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