मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत

 स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। देश में कोरोना के संक्रमण से पार पाना एक बड़ी चुनौती है। हमारे यहां समूचा स्वास्थ्य तंत्र इस महामारी से उपजे हालात का सामना करने में लगा हुआ है। संक्रमण की चपेट में आए लोगों की जैसी स्थिति हो रही है, उसमें इलाज के मामले में उन्हें प्राथमिकता मिलना स्वाभाविक है। संकट की व्यापकता के मद्देनजर देश के अस्पतालों को केवल कोविड के मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित कर दिया गया है। लेकिन इस क्रम में दूसरी गंभीर बीमारियों से जोखिम की स्थिति में पहुंच चुके मरीजों को अपेक्षित उपचार या देखभाल नहीं मिल पा रही है। आपात चिकित्सा की जरूरत वाले लोगों को इलाज कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

देश के शहरों में कई अस्पतालों को कोविड केंद्र के रूप में बदल दिया गया है और उन्हें सिर्फ इसी बीमारी के मरीजों का इलाज करने को कहा गया है। लेकिन ऐसे हालात बन गए हैं कि हृदयाघात या हादसे की आपात आवश्यकता वाले मामलों में वक्त पर इलाज मिल सकने की गुंजाइश कम हो गई है। जिन्हें अपनी तकलीफ के इलाज कराने की जरूरत है, लेकिन वे अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं। हृदय रोग या दूसरी कोई बीमारी का मरीज ऐसी हालत में भी हो सकता है कि समय पर इलाज नहीं मिलने पर उसकी जान चली जाए। किसी व्यक्ति को ऐसी बीमारी भी हो सकती है, जिसका वक्त पर उपचार नहीं मिलने पर वह जानलेवा रोग में तब्दील हो जाए। 

यह छिपा तथ्य नहीं है कि हृदयाघात, कैंसर, टीबी, मधुमेह और कुछ अन्य बीमारियों की वजह से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। भारत में कुल मौतों में 19 फीसद मौतें अकेले हृदयरोग से जुड़ी होती हैं। तपेदिक की त्रासदी में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन महज कुछ साल पहले तक इससे हर साल करीब साढ़े चार लाख लोगों की मौत हो जाती थी। यह स्थिति बताने के लिए काफी है कि हमारे स्वास्थ्य ढांचे में कितनी बड़ी कमी है। ऐसा नहीं है कि अस्पतालों, डाक्टरों की कमी मौजूदा संकट में सामने दिखी है। लंबे समय से स्वास्थ्य क्षेत्र का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए बजट में पर्याप्त आबंटन और व्यापक सुधार के लिए आवाजें उठती रही लेकिन इस ओर ठोस पहल नहीं हुई। महामारी के इस दौर में यदि सरकार स्वास्थ्य और चिकित्सा का मजबूत तंत्र खड़ा कर सके, तो यह हितकारी होगा।

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