मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

जंगल में फेैली आग और बस्ती में कोरोना

 उत्तराखंड़ में वनाग्नि और कोविड़-19 के प्रकोप में एक बात में है समानता 



जंगल में फेैली आग और बस्ती में कोरोना

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड़ में इन दिनों प्राकृतिक आपदा से ज्यादा कृत्रिम मुसीबतों के बादल छाए हुए है। खासकर कोविड़-19 के बाद जैस-जैसे गर्मी बढ़ रही है, जंगल की आग भी कहर बरपाने में कोई कसर नहीें छोड़ रही है। 

हालांकि कोविड़-19 और जंगल की आग के प्रसार में एक समानता अवश्य ही नजर आती है। दोनों ही मामलों में लोगों की लापरवाही जाने अंजाने ही सही अपना अहम योगदान प्रदान कर रही है। चाइना बुखार के शुरूवाती दौर में लोगों ने सरकार की सख्ती के बीच सहयोग किया लेकिन अब उनका धैर्य चूकता जा रहा है। जगह-जगह आपको लोग कोविड़ काल के ऐतिहातन उपायों की धज्जियां उड़ाते दिख जायेंगे। दुर्भाग्य से इनमें से ज्यादातर लोग तो कोरोना को खतरनाक बीमारी मानने से भी हिचक रहें है। वहीं वनाग्नि को लेकर भी लोगों का रवैया निराश करने वाला है।



प्रदेश के जंगलों में लगी आग के मामलों को देखें तो अधिकांश वनाग्नि के मामले लोगों की लापरवाही के परिणाम है। कहने को तो इसके लिए जवाबदेह महकमा वन विभाग गर्मी के मौसम से पहले आग की घटनाओं पर काबू पाने की तैयारियां कर लेता है लेकिन हर बार की तरह जब धरातल पर ऐसा होता है तो वह नाकाम हो जाता है। जबकि बजट में कोई कमी नहीं रहती और न संसाधनों के जुटाने में कोई रोकटोक उसके लिए रहती है। तो भी हर बार उसकी तैयारियों की पोल खुलती रहती है।

कोरोना और वनाग्नि ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था के साथ साथ प्राकृतिक संपदा को भी बड़ा नुकसान पहुंचाया है। हालांकि हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश सरकार एवं केन्द्र के तालमेल ने इसको लेकर गंभीर प्रयास शुरू कर दिए है। जिसके चलते केन्द्र ने वायुसेना के हैलिकाप्टरों को आग बुझाने के काम में लगाया गया है लेकिन वनाग्नि के विस्तार को देखते हुए यह असरदार रहेगा, ऐसा लगता नहीं है। क्योंकि इसकी भी एक सीमा है। उसके बाद तो यह भी लाचार हो जायेंगे।

वह चाहे जंगलों में लगी आग हो या कोविड़-19 का संक्रमण, दोनों से बचाव का सबसे सही तरीका है, जन जागरूकता। सरकार को इसके लिए ठोस पहल करनी चाहिये। लोगों को जंगल से जोड़ा जाये और उन्हें अहसास दिलाया जायें कि जंगल उनके है, तो ही जंगलों को वनाग्नि से बचाया जा सकता है। इसी तरह से कोविड़-19 से बचाव प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह स्वयं को, अपने परिवार को संक्रमण से बचाये। सरकारी प्रयास तो उनके लिए बोनस सरीखे है। किसी का मुंह ताकने या आलोचना करने की बजाय हम अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करने का बीड़ा उठा लें तो निश्चित तौर पर इनसे मुक्ति पायी जा सकती है।


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