शनिवार, 17 जुलाई 2021

मुफ्त की बिजली की पेशकश देश को देगी बड़ा झटका

 मुफ्त की बिजली की पेशकश देश को देगी बड़ा झटका 



राजनीतिक दलों का चुनाव पूर्व मुफ्त बिजली का वादा अंधेरे की ओर धकेल रही

संवाददाता

देहरादून। सबको मुफ्त बिजली देने का विकल्प राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाता है। कर्ज लेकर नया टैक्स लगाकर या किसी और जरूरी सेवा के बजट में कटौती कर इसकी भरपाई करनी पड़ती है। बिजली सप्लाई के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर भी इसका असर पड़ सकता है।

चुनाव जीतने के लिए कई नेता फ्री बिजली का प्रलोभन दे रहें है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसकी मिसाल हैं। देश की राजधानी को बिजली और पानी की सप्लाई दूसरे राज्यों से मिलती है लेकिन राज्य सरकार इसे वोटबैंक के चक्कर में मुफ्त कर देती है।

2021 की गर्मियों में दिल्ली में बिजली की मांग रिकार्ड 7.40 गीगावाट तक पहुंच गई। देश की राजधानी में हर साल गर्मियों में डिमांड पीक पर आते ही राजधानी को बिजली देने के लिए और राज्यों में बिजली कटौती करनी पड़ती है। उत्तराखंड की 20 से ज्यादा छोटी और विशाल बांध परियोजनाओं से जितनी बिजली बनती है वह भी गर्मियों में दिल्ली की आधी डिमांड ही पूरी कर सकती है लेकिन इस बिजली की कीमत देखिए, बांधों की वजह से डूबी लाखों एकड़ जमीन, हजारों लोगों का विस्थापन और बदली जलवायु से आती प्राकृतिक आपदाएं।

केजरीवाल उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब और गोवा की राजनीति में अपनी पार्टी की जड़ें जमाना चाहते हैं। इन राज्यों में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावों से पहले ही आप ने एलान कर दिया कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनी तो उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में एक हद तक बिजली मुफ्त दी जाएगी।

आप के राजनीतिक दांव को कमजोर करने के लिए उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने भी सबको मुफ्त बिजली देने का एलान कर दिया। अपनी सत्ता बचाने के लिए भाजपा ने राज्य में 100 यूनिट बिजली मुफ्त कर दी है। 200 यूनिट के बिल पर 50 फीसदी सब्सिडी दे दी है।

जुलाई 2021 में भारत की बिजली डिमांड 191.24 गीगावाट के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। यह मांग और बढ़ेगी, लेकिन ये बिजली मुफ्त में कैसे और कहां बनेगी? पहले ही भारी दबाव का सामना कर रहे पर्यावरण को आखिरकार इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

बिजली को मुफ्त बांटने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कई और सरकारी स्कूल बंद होंगे। राजधानी होने की वजह से दिल्ली सरकार तमाम वित्तीय संकटों से बच सकती है, लेकिन और राज्य क्या करेंगे?

बिजली बचाना भारतीयों की जीवनशैली का एक हिस्सा है। जिस कमरे में कोई न हो, वहां लाइट और पंखें आन नहीं किए जाते। एयरकंडीशनर और हीटर भी हिसाब लगाकर इस्तेमाल किया जाता है लेकिन जब बिजली मुफ्त मिलने लगेगी तो पहले 200 यूनिट की चिंता कौन करेगा। 

गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों, सिंचाई के लिए किसानों, अस्पतालों और सरकारी स्कूलों को मुफ्त बिजली दी जानी चाहिए लेकिन जो लोग बिल चुका सकते हैं, उन्हें बिजली का बिल देना चाहिए। उस सुविधा के लिए मूल्य चुकाना चाहिए, जिसके खातिर कहीं बांधों ने जमीन डुबाई है, तो कहीं कोयला बिजलीघरों ने राख उड़ेली है। 


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