मंगलवार, 14 सितंबर 2021

बिना संगठन के कांग्रेस उत्तराखंड़ में कैसे लड़ेगी चुनाव!

 हरदा का हवाई फायर जबकि कांग्रेसी विधायक पाला बदल सुनिश्चित कर रहे भविष्य


बिना संगठन के कांग्रेस उत्तराखंड़ में कैसे लड़ेगी चुनाव!


प0नि0ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस का यह दुर्भाग्य है कि जिस शख्स को कभी प्रदेश में कांग्रेस को स्थापित करने का श्रेय दिया जा रहा था, वहीं बन्दा कांग्रेस के पतन का कारण बन गया। क्योंकि जब उक्त बन्दे को प्रदेश के मुखिया का दर्जा मिला, उसने कांग्रेस के संगठन को ध्वस्त करके रख दिया। जी हां, आप सही सोच रहें है। हरदा यानि हरीश रावत को ही प्रदेश में कांग्रेस को मौजूदा हालत में पहुंचाने का कसूरवार माना जाता है। 

परिस्थिति और शख्सियत समय के साथ साथ बदल गई। जिसको कल प्रदेश के मुखिया के पद का हकदार माना जाता था, वह जब उस जगह पहुंचा तो पता चला कि उसमें वह क्षमता ही नहीं है। जो नेता बीस-बाइस विधायकों को ही नहीं संभाल सकता उसे भला मुख्यमंत्री बनने का क्या हक है। यह हुआ भी कि बन्दा ज्यादा देर तक कुर्सी पर काबिज नहीं रह सका। सच तो है कि जो दिखाई देता है, वह सच नहीं होता बल्कि सच तो अनुभव से हासिल होने वाली चीज है। हरदा की काबलियत का पता भी लोगों को तभी चला जबकि वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 

धीरे-धीरे लोगों के सारे भ्रम टूटते चले गए। बल्कि कई मौकों पर तो यह लगा कि हरदा कांग्रेस के नेता है या भाजपा के एजेंट। क्योंकि अपने निष्कंटक राज के लिए जिस तरह से वह अपनी पार्टी के नेताओं को बिदका रहें तो उससे कांग्रेस को तो क्या फायदा होता, भाजपा जरूरी जड़े जमाने में कामयाब हो गई। बल्कि इससे खुद हरदा की जमीन भी कमजोर होती गई। इंतेहां तो तब हो गई जब कमजोर आत्मविश्वास के कारण दो सीटों से चुनाव लड़कर सुरक्षित खेल खेलने के बावजूद हरदा दोनों सीटों से चित हो गए। 

यानि संगठन के न होने या विलुप्त होने की कगार पर पहंुचने केा कारण सबसे बड़ा खामियाजा खुद उनको उठाना पड़ा। क्योंकि वे चुनाव में तो उतरे लेकिन जनता और पार्टी के बीच की कड़ी संगठन तो था ही नहीं। ऐसे में भला कोई चुनाव कैसे जीत सकता है? कमोबेश यही हाल बाकी प्रत्याशियों का भी हुआ। हालांकि वे लोग बच गए जिन्होनें पार्टी के इतर अपना अलग संगठन खड़ा किया हुआ था। वरना हरदा ने तो पूरे कुनबे के लिए इंतजाम कर रखा था। 

लालीपाप मुख्यमंत्री कहे जाने वाले और यूज एंड़ थू्र की परिपाटी पर यकीन करने वाले हरदा के लिए कहा जाता है कि वे खुद पर भी भरोसा नहीं करते। उस अकेले शख्स ने कभी कांग्रेस को बनाया भी, बुलन्दी पर पहुंचाया भी और समय का खेल देखिये कि कांग्रेस को रसातल में भी पहुंचा दिया। लेकिन अब संभलने की बजाय आज भी उसी तरह की लकीरें पीट रहें है। हालांकि यह हैरान करने वाली बात है कि प्रदेश में उनके अलावा कोई और ऐसा नेता नहीं दिखाई देता जो कांग्रेस को तार दे। भले ही कितने ही अन्य कांग्रेसी नेता दावे करते हों या डींगें मार रहे हो परन्तु आज की डेट में हरदा के अलावा कोई ऐसा कांग्रेसी उत्तराखंड़ में नहीं जो डूबती कांग्रेस की नैया को पार लगाने की क्षमता रखता है।

माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

  माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...