हमारी समृद्व परम्परा और जीवनशैली का अंग है वृक्ष पूजा
सौभाग्य व सुख शांति के लिये बरगद की पूजा
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। वृक्षों की पूजा प्राचीनकाल से सनातन धर्म की हमारी समृद्व परंपरा और जीवनशैली का अंग रहा है। वैसे तो हर पेड़-पौधे की रक्षा करने की हमारी पुरानी परंपरा है लेकिन वटवृक्ष या बरगद की पूजा का सनातन में खास महत्व बताया गया है।
धार्मिक कर्म में इस वृक्ष की महिमा बताई गई है। वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु व अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है इसलिए इसे अक्षयवट कहते हैं। अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए भी वटवृक्ष की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि अक्षयवट के पत्ते पर ही प्रलय के अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्कण्डेय को दर्शन दिये थे। ऐसी मान्यता है कि देवी सावित्राी वटवृक्ष में निवास करती हैं। प्रयाग में गंगा के तट पर स्थित अक्षयवट को तुलसीदास ने तीर्थराज का छत्र कहा है। वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुनःजीवित किया था। तब से यह व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है।
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या तिथि के दिन वटवृक्ष की पूजा का विधान है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन वटवृक्ष की पूजा से सौभाग्य व स्थायी धन और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। संयोग की बात है कि इसी दिन शनि महाराज का जन्म हुआ। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण की रक्षा की।
बरगद को वटवृक्ष कहा जाता है। सनातन धर्म में वट-सावत्री नाम का एक त्यौहार पूरी तरह वट को ही समर्पित है। शास्त्रों में चार प्रकार के वटवृक्षों को महत्वपूर्ण बताया गया है- अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्ववट। कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता। भगवान शिव जैसे योगी भी वटवृक्ष के नीचे ही समाधि लगाकर तप साधना करते थे-
तहं पुनि संभु समुझिपन आसन।
बैठे वटतर, करि कमलासन।।
(बालकांड/रामचरितमानस)
आयुर्वेद के अनुसार रोगों को दूर करने में बरगद के सभी भाग काम आते हैं। इसके फल, जड़, छाल, पत्ती आदि सभी भागों से कई तरह के रोगों का नाश होता है। इससे बरगद के वृक्ष की उपयोगिता और बढ़ जाती है। क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य की रक्षा में महत्वपूर्ण है।
पर्यावरण के लिहाज से भी यह वृक्ष बेहद अहम है। वायुमंडल से कार्बन डाइआक्साइड ग्रहण करने और आक्सीजन छोड़ने की भी इसकी क्षमता बेजोड़ है। यह हर तरह से लोगों को जीवन देता है। रोगों से दूर रखने में मददगार भी है। ऐसे में बरगद की पूजा का खास महत्व स्वाभाविक है।