शनिवार, 19 मार्च 2022

घोषणा के तीन साल बाद भी नहीं मिली जवानों को सौ दिन की छुट्टी

 सीआरपीएफ में कैडर, पदोन्नति और 100 दिन की छुट्टियों पर फंसा पेंच

घोषणा के तीन साल बाद भी नहीं मिली जवानों को सौ दिन की छुट्टी



एजेंसी

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 के आखिर में घोषणा की थी कि सीएपीएफ के सभी जवानों को एक साल में 100 दिन की छुट्टी मिलेगी। यह फार्मूला फेल हो गया है। ढाई साल बाद भी यह तय नहीं हो सका है कि उक्त छुट्टियां कैसे दी जानी है। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ में कैडर, अधिकारियों की पदोन्नति और जवानों को एक साल में सौ दिन की छुट्टी, पर पेंच फंस गया है। सीआरपीएफ में अनेक समस्याओं का निदान नहीं हो सका है। ग्राउंड कमांडरों से आईजी/एडीजी रैंक दूर होता जा रहा है। प्रमोशन का पहला पायदान मिलने में ही 12 से 15 साल लग रहे हैं। जवानों को सौ दिन की छुट्टी की घोषणा को तीसरा साल हो गया, अभी तक लागू नहीं हो सकी है। 

कायदे से सीआरपीएफ में कैडर समीक्षा अब तक पूरी हो जानी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं हुआ। 5 साल में होने वाले कैडर रिव्यू प्रपोजल को पिछली बार 29 जून 2016 को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई थी। कैडर रिव्यू कमेटी की बैठक 15 दिसंबर 2015 को हुई थी। इस हिसाब से गत वर्ष यह प्रकिया पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन इस बार कैडर रिव्यू प्रपोजल पिछले दिनों ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया है। हालांकि डीओपीटी की कैडर रिव्यू डिवीजन की प्रक्रिया रिपोर्ट कुछ और ही बताती है। 

वेबसाइट पर डाली गई एक जनवरी 2016 से 28 फरवरी 2022 तक की रिपोर्ट में सीआरपीएफ कैडर रिव्यू का कहीं कोई जिक्र ही नहीं है। अफसरों को समय पर प्रमोशन न मिलने के कारण वे जाब छोड़ रहे हैं। जब पहला प्रमोशन 15 साल में मिलेगा तो उसके बाद डीसी, टूआईसी, कमांडेंट व डीआईजी के पद से होते हुए आईजी, एडीजी तक कोई कैसे पहुंचेगा। आईपीएस की तरह कैडर अफसरों को टाइम बाउंड प्रमोशन नहीं मिलता। 

इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि हमने कैडर रिव्यू प्रपोजल गृह मंत्रालय में भेज दिया है। बता दें कि गृह मंत्रालय में भेजे गए प्रपोजल में कई तरह की कांट-छांट होती है। उसके बाद वह प्रपोजल कैडर रिव्यू कमेटी के पास जाता है। वहां से पास होने के बाद वह फाइल वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग में जाती है। अगर यहां से उसे मंजूरी मिलती है तो ही कैडर रिव्यू प्रपोजल केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किया जाता है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद उसे लागू कर दिया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी इस प्रक्रिया में कितना और समय लग सकता है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 के आखिर में घोषणा की थी कि सभी जवानों को एक साल में 100 दिन की छुट्टी मिलेगी। वह फार्मूला फेल हो गया है। अब तक यह तय नहीं हो सका है कि ये छुट्टियां कैसे देनी हैं। पैरामिलिट्री फोर्स में जवानों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए बल के कैप्सूल कोर्स बेमानी साबित हो रहे हैं। जवान को 60 दिन की छुट्टी तो वैसे ही मिलती है। सीएल को जोड़ें तो वह संख्या 80 तक पहुंच जाती है। अब बाकी की छुट्टियां कैसे मिलें, इस पर मंथन हो रही है। बल में आवासीय क्षमता को बढ़ाया जा रहा है, इसलिए भी देर हो रही है।

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