मंगलवार, 29 मार्च 2022

आंसुओं के पीछे का विज्ञान

 ज्यादा खुश होने पर भी भीग जाती हैं आंखें 

आंसुओं के पीछे का विज्ञान



प0नि0डेस्क

देहरादून। जब भी हम ज्यादा खुश होते हैं तो कई बार हंसते-हंसते आंखों से आंसू छलकने लगते हैं। इसे आम बोलचाल के शब्दों में खुशी के आंसू भी कहा जाता है। आपको शायद आंसुओं के पीछे का विज्ञान नहीं पता! इन आंसुओं के पीछे का विज्ञान क्या है और आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है?  

एक रिपोर्ट के अनुसार हंसते-हंसते रोने यानी आंसू निकलने के पीछे दो कारण हैं। पहला कारण यह है कि जब हम खुलकर हंसते हैं तो हमारे चेहरे की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से काम करने लगती हैं। ऐसा होने पर हमारी अश्रु ग्रंथियों से भी दिमाग का नियंत्रण हट जाता है और आंसू निकल पड़ते हैं।

इसकी दूसरी वजह मानी जाती है कि बहुत ज्यादा हंसने की स्थिति में व्यक्ति भाव-विभोर हो जाता है। ज्यादा भावुक होने के कारण चेहरे की कोशिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिसके चलते आंसू निकाल जाते हैं। ऐसा करके हमारा शरीर आंसुओं के जरिए हमारे तनाव को संतुलित करने की कोशिश करता है।

दरअसल ये पूरी प्रक्रिया हर शख्स के लिए अलग-अलग हो सकती है। कई लोग कम रोते हैं तो वहीं कई लोग बहुत जल्दी भावुक हो जाते हैं। साथ ही महिला या पुरुष होने से भी इस पूरी प्रक्रिया पर फर्क आ जाता है। माना जाता है महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक भावुक होती हैं। ऐसे में महिलाओं के साथ हंसते-हंसते आंसू निकलने की संभावना अधिक पाई जाती है।

कम या ज्यादा भावुक होने के पीछे मुख्य भूमिका हार्माेन की होती है। हंसने में दिमाग का जो हिस्सा सक्रिय होता है, रोने पर भी वही सक्रिय होता है। लगातार हंसने या रोने की स्थिति में दिमाग की कोशिकाओं पर अधिक तनाव पड़ता है। ऐसे में शरीर में कार्टिसोल और एड्रिनालाइन नामक हार्माेन्स का स्त्राव होता है। यही हार्माेन्स हंसते या रोते वक्त शरीर में होने वाली विपरीत प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं।

गौरतलब है कि हंसने और रोने पर खुशी का पहला आंसू दाहिनी आंख से आता है और दुःख का पहला आंसू बायीं आंख से छलकता है।


माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

  माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...