शनिवार, 7 मई 2022

समस्त पाप कर्मों का नाश करती है गंगा सप्तमी

 समस्त पाप कर्मों का नाश करती है गंगा सप्तमी



डा0 रवि नंदन मिश्र

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी गंगा का पृथ्वी पर पुनर्जन्म हुआ था। ज्योतिषियों का कहना है कि गंगा सप्तमी का त्योहार इस वर्ष बेहद खास रहने वाला हैं। गंगा सप्तमी रविवार 8 मई को मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी के दिन रविपुष्य योग का निर्माण भी हो रहा है।

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है।



मोक्ष की प्राप्ति- गंगा सप्तमी के अवसर पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

दस पापों का हरण- कहा जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्वि-सिद्वि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। सभी पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। विधि-विधान से किया गया गंगा का पूजन अमोघ फल प्रदान करता है।

1. पुराणों के अनुसार गंगा विष्णु के अंगूठे से निकली हैं, जिसका पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ के प्रयास से कपिल मुनि के शाप द्वारा भस्मीकृत हुए राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों का उद्वार करने के लिए हुआ था, तब उनके उद्वार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए। वैसे तो गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो गंगा जी के संपूर्ण अर्थ को परिभाषित करती है। गंगा नदी हिंदुओं की आस्था का केंद्र है और अनेक धर्मग्रंथों में गंगा महत्व का वर्णन देखने को मिलता है।

 2. एक अन्य पौराणिक एक कथा के अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ।

3. एक अन्य मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया।

4. एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा, जिसे ब्रह्माजी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ था।      

गंगा सप्तमी पर बना है रवि पुष्य योग का संयोग

इस साल वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन सुबह से 2 बजकर 58 मिनट तक पुष्य योग रहेगा। इसके साथ ही इस दिन रविवार है जिससे रवि पुष्य नामक शुभ योग का लाभ भी श्रद्वालुओं को मिलेगा। धार्मिक दृष्टि से रविवार के दिन सप्तमी तिथि का संयोग बन जाना बहुत ही उत्तम होता है। इसकी वजह यह है कि सप्तमी तिथि और रविवार दोनों के ही स्वामी सूर्य देव हैं। ऐसे में अबकी बार गंगा सप्तमी यानी गंगा जयंती जिसे वैशाख सप्तमी भी कहते हैं उस दिन सूर्य देव की कृपा भी श्रद्वालु पा सकते हैं।

अव्याकरणमधीतं भिन्नद्रोण्या तरंगिणी तरणं।

भेषजमपथ्यसहितं त्रयमिदमकृतं वरं न कृतं।।

गंगा सप्तमी पर दान पूजन- वैशाख शुक्ल सप्तमी को गंगा सप्तमी के दिन गंगा जल और सफेद तिल मिलाकर स्नान करें और गंगा जल से सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद सूर्य नीम के पत्तों को चबाएं और श्रद्वा के अनुसार चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, सफेद चंदन, दूध का दान करें। इस दिन पंखा, घड़ा और फल का दान करना भी समृद्वि और आरोग्य दायक माना गया है।

गंगा सप्तमी पर धन प्राप्ति के उपाय- गंगा सप्तमी पर चांदी या स्टील के लोटे में गंगाजल भरकर उसमें पांच बेलपत्र डाल लें। कोशिश करें कि इस दिन सुबह या शाम घर से नंगे पैर निकलें। भगवान शिवलिंग पर एक धारा से यह गंगाजल नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए अर्पण करें। ऐसा करते हुए भोलेबाबा को बेलपत्र भी अर्पण करें। ये उपाय करने से घर में धन-धान्य की वृद्वि होने के साथ व्यक्ति को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

डा0 रवि नंदन मिश्र

असी0 प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी

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