शनिवार, 17 अगस्त 2019

गति फाउंडेशन ने किया दून में ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर सर्वे, जारी की पहली रिपोर्ट 

गति फाउंडेशन ने किया दून में ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर सर्वे, जारी की पहली रिपोर्ट 
83 फीसद उत्तरदाताओं ने कहा- नया मोबाइल फोन लेना करते हैं पसंद 
48 फीसद ने दो वर्षों में एक, 25 फीसद ने दो और 8 ने खरीदे तीन मोबाइल 
23 फीसद लोगों ने दो वर्षाे में एक, 24 ने दो और 17 ने खरीदे तीन एयर फोन

देहरादून। इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ने के साथ वैश्विक स्तर पर ई-वेस्ट लगातार बढ़ता जा रहा है और यह खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। दून में भी ई-वेस्ट लगातार बढ़ रहा है। एनवायर्नमेंटल एक्शन एंड एडवोकेसी ग्रुप गति फाउंडेशन ने हाल ही में दून मंे ई-वेस्ट की स्थिति पर एक सर्वे करवाया। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि सर्वे में विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री-पुरुषों को शामिल किया गया। सर्वे में 18-25 आयु वर्ग के 53 फीसद, 26-40 आयु वर्ग के 31 फीसद और 40-70 आयु वर्ग के 16 फीसद लोगों ने भाग लिया। सर्वे में शामिल किये गये लोगों में 60 पुरुष और 40 फीसद महिलाएं थी।
77 फीसद उत्तरदाताओं को देश के इ-वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। पिछले कुछ समय से उत्पादकों और ब्रांड्स की जिम्मेदारी वेस्ट के निस्तारण के लिए बढ़ाई गयी है किन्तु 69 उत्तरदाताओं ने एक्सटेंडेड प्रोडूसर रिस्पांसिबिलिटी के बारे मे कुछ नहीं सुना है। 60 फीसद लोगों को कंपनियों की बाईबैक योजना की जानकारी नहीं है। इससे साफ है कि कंपनियां अपना पुराना सामान वापस लेने की योजना का प्रचार-प्रसार नहीं कर रही हैं। लोगों से सवाल पूछा गया था कि वे एक वर्ष में कितना ई-वेस्ट करते हैं। 70 फीसद का जवाब था कि साल में वे 1 से 4 बार ई-वेस्ट पैदा करते हैं। 15 फीसद का कहना है कि वो कोई ई-वेस्ट नहीं करते। 
दून में सबसे ज्यादा 72 फीसद ई-वेस्ट मोबाइल फोन और उसकी एक्सेसरीज के रूप में पैदा हो रहा है। अन्य हिस्सा बैटरी, पेंसिल सेल, एलईडी और बल्ब आदि के रूप में पैदा हो रहा है। शहर में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का इस्तेमाल करने वाले लोग खराब हो जाने के बाद इनके निस्तारण का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं अपना रहे हैं। 51 फीसद लोगों का कहना है कि वे ऐसा सामान कबाड़ी को दे देते हैं। बाकी लोग इसे या तो कूड़े के साथ फेंक देते हैं या फिर ई-वेस्ट घर में पड़ा रहता है। 92 फीसद उपभोक्ता किसी रजिस्टर्ड ई-वेस्ट रिसाइकिलर को नहीं जानते। 
सर्वे में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि शहर में 83 फीसद लोग हर बार नया मोबाइल फोन लेना पसंद करते हैं, जबकि 17 फीसद लोगों ने कहा कि वे सेकैंड हैंड मोबाइल से काम चलाना पसंद करते हैं।
पिछले दो वर्षों में शहर में लोगों ने कितने मोबाइल फोन खरीदे, इसका भी एक दिलचस्प आंकड़ा इस सर्वे में सामने आया। 48 फीसद उपभोक्ताओं ने इन दो वर्षों में एक मोबाइल खरीदा। 25 फीसद ने दो, 8 फीसद लोगों ने तीन, 3 फीसद ने चार और 7 फीसद लोगों ने चार से ज्यादा मोबाइल पफोन खरीदे। मात्र 10 फीसद लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने दो वर्षों में एक भी मोबाइल फोन नहीं खरीदा। इसी तरह 23 प्रतिशत लोगों ने इस अवधि में एक एअर फोन खरीदा, 24 फीसद लोगों ने दो, 17 फीसद लोगों ने तीन, 6 फीसद ने चार और 8 फीसद ने चार से ज्यादा एअर फोन खरीदे। 22 फीसद लोगों ने दो वर्षों में एक भी एयर फोन नहीं खरीदा।
नौटियाल के अनुसार इस सर्वे में 16 मोबाइल फोन के शोरूम, 14 इलेक्ट्रानिक रिपेयरिंग की दुकानें और राजा रोड और बल्लीवाला के 7 ई-वेस्ट कबाड़ी कारोबारी शामिल किये गये। इसके अलावा 138 लोगों ने आनलाइन सर्वे में हिस्सा लिया। अनूप ने कहा कि आने वाले दिनों मे सर्वे के अन्य पहलु भी साझा किये जाएंगे। उन्होंने देश के नामी गिरामी ब्रांड्स से अपील की कि वे ई-वेस्ट के बारे मे समाज मंे व्यापक जानकारी देने के अलावा अपने रीसाइक्लिंग के तंत्र को मजबूत करें। अनूप ने कहा कि सभी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएंगी। गति फाउंडेशन के पॉलिसी विश्लेषक ऋ)षभ श्रीवास्तव के साथ ही अनुष्का मर्ताेलिया, हेम साहू, अध्ययन ममगाईं और नीलम कुमारी का सर्वे में सहयोग रहा।


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