शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

देशी शराब व्यवसायियों का छलका दर्द

देशी शराब व्यवसायियों का छलका दर्द

सरकार से सवाल- नुकसान की भरपाई कौन करेगा

संवाददाता

देहरादून। प्रदेश के देशी शराब व्यवसायियों ने हाल ही में कथित तौर पर हुई जहरीली शराब से मौतों के बाद देशी शराब के ठेके बंद किए जाने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि उन छह दिनों के दौरान हुए राजस्व की भरपाई कौन करेगा।

प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान देशी शराब व्यवसायियों ने कहा कि वे मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात रखना चाहते हैं। इस दौरान उनका दर्द भी छलका। 

 उनका कहना था कि शराब राज्य में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला व्यापार है। इसके बाद भी शराब व्यापारियों को माफिया कहा जाता है ।

उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में शराब से कुल राजस्व वर्ष उन्नीस सौ करोड़ निर्धारित किया गया है जबकि उत्तराखंड में हर वर्ष वृद्धि करते हुए इस वर्ष 2,019-20 में निर्धारित राजस्व 3 हजार करोड़ किया गया।

देशी शराब व्यवसायियों का कहना था कि सरकार कहती हैं कि शराब से उसे राजस्व की जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ हर वर्ष शराब के दामों में भारी वृद्धि की जाती है। ऐसे में लोग स्वयं तय करें कि माफिया सरकार है या शराब व्यापारी। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार विदेशी या बाहरी प्रदेश से व्यापार के लिए लोगों को आमंत्रित कर रही है। जबकि स्थानीय लोग व्यापार करना चाहते हैं तो वे अपने प्रदेश में ही व्यापार नहीं कर पा रहे हैं।

शराब व्यवसायियों ने बताया कि दिनांक 19 /09/ 2019 दिन शुक्रवार शाम 7:00 बजे दूरसंचार के माध्यम से शासन प्रशासन द्वारा अवगत कराया गया कि तत्काल जिले की सभी देसी मदिरा दुकान व कुछ विदेशी मदिरा दुकान बंद करा दी जाए। क्योंकि कुछ लोगों की शराब पीने से मौत हो गई है। हालांकि शराब जहरीली है इसको शासन आज तक सिद्ध नहीं कर पाया।

उन्होंने कहा कि दून जिले की सभी देसी मदिरा दुकान का 1 दिन का राजस्व नगद राजकोष में जमा कराना पड़ता है वह राशि 50 लाख प्रतिदिन है। 5 दिन दुकाने बंद रही जिससे ₹ 2 करोड़ 50 लाख की हानि हुई।

 जिला अधिकारी महोदय द्वारा 20/09/2019 को लिखित आदेश जारी किया गया कि दुर्घटना घटित क्षेत्र के अंतर्गत ही दुकानें बंद किया जाए लेकिन शासन-प्रशासन 24/09/2019 यानी 5 दिन तक दुकानें बंद करा रखी थी। जिले की सभी देशी मदिरा दुकानों से सैंपल जांच के लिए ले जाया गया। सभी सैंपल मानक के अनुरूप पाया गया।  शराब व्यापारीगण सरकार व उन्होंने शासन से मांग करते हुए कहा कि इन 5 दिनों में जो राजस्व की हानि हुई है जो राजस्व करीब तीन करोड़ का है, उसे माफ किया जायेगा। उन्होंने  सरकार से अनुरोध किया हैं कि शराब व्यापार के लिए कुछ ऐसा नियम बनाया जाए कि जितनी शराब की बिक्री आवंटित दुकानों से हो उतना ही राजस्व निर्धारित हो।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा वहम फैलाया गया कि जाफरान शराब जहरीली थी लेकिन  यह गलत बात है। देशी शराब व्यवसायियों ने अपने प्रति सरकार के रवैए पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि शराब व्यापारियों से नफरत है तो बिहार व गुजरात जैसे प्रदेशों की तरफ उत्तराखंड को भी शराब मुक्त कर दें ।

उनका कहना था कि यदि किसी भी दुकान से मूल्य से अधिक बिक्री होने पर चैनल व समाचार पत्र  मामले को खूब उछालते  है  लेकिन 5 दिन जिले की सभी देसी मदिरा दुकान बंद पड़ी थी तो एक भी चैनल व समाचार पत्र ने किसी भी शराब व्यापारी से नहीं पूछा कि जो दुकान बंद है इनका राजस्व कैसे जमा होगा या उसे क्या सरकार माफ करेगी!

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जो दुर्घटना घटित हुई है उससे सभी शराब व्यापारियों को बहुत दुख है। सरकार अवैध शराब बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आई है और त्वरित अपराध में संलिप्त रहने वाले व्यक्तियों को पकड़कर जेल भी भिजवा दिया। यदि शासन प्रशासन अवैध शराब व नशाखोरी के खिलाफ इसी तरह कारवाई करती रही तो निश्चित रूप से अवैध नशाखोरी बंद हो जाएगी ।

उन्होंने सुझाव दिया कि अवैध शराब की रोकथाम के लिए गली मोहल्लों में कुछ ऐसे होर्डिंग में बैनर लगवाये जाए जिसमें सरकारी नंबर लिखे हुए हो जिस पर कोई भी व्यक्ति अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ शिकायत कर सकें। कोई भी यदि अवैध तरीके से शराब बेच रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ।

इस अवसर पर देशी शराब व्रायवसायी राम कुमार जयसवाल, दिनेश मल्होत्रा, प्रतीक जुयाल, विजय नेगी,  शैलेंद्र जयसवाल, रामबाबू , अतुल सिंघल आदि मौजूद रहे।

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