एनआरसी में शामिल होने के लिए होने चाहिए ये दस्तावेज
असम के बाद हरियाणा ने अपने राज्य में एनआरसी नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन्स लागू करने को कहा है, वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड़ ने भी इसके संकेत दिए हैं।
एजेंसी
नई दिल्ली। ऐसी खबरें आ रही हैं कि हरियाणा के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड़ भीे ऐसे राज्य हो सकते है, जो अपने यहां एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लागू कर सकते है। ऐसे में आपके पास कौन से ऐसे दस्तावेज होने चाहिए, जिससे आप इस देश के नागरिक माने जाएंगे। एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए दावा प्रपत्र की सूची-ए में दस पैतृक दस्तावेज पर भरोसा किया जाएगा।
इससे तय होगा कि कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं। इस समय ये बड़ा सवाल पूरे देश में कौंध रहा है कि अगर कल को उन्हें अपनी नागरिकता का सबूत देना पड़े तो कैसे देंगे। हम आपको बताते हैं कि आपके पास कौन से दस्तावजे होने चाहिए।
संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है। इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं। संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है। इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है।
नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ। एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं। एक्ट के जरिए केंद्र सरकार के पास ये अधिकार है कि वो किसे भारत का नागरिक माने और किसे नहीं।
इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं। अन्यथा आपका नाम इसमें शामिल नहीं हो सकेगा।
1. जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज।
2. राज्य के बाहर से जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र।
3. भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट।
4. किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र।
5. सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज।
6. बैंक/डाक घर में खाता।
7. सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र।
8. बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र।
9. न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज।
संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है। संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा। भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा।
अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा। अगर कोई व्यक्ति यहां 5 साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है।
संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है। इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।
संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है। इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है। ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे।
संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है। इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो। ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा।
संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है। इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी।
संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है। इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा। सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी।
संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है।