काम की बात- मूत्र रोकें नहीं, करें
पेशाब करना उन कामों में शामिल है जिनके बिना हमारा काम नहीं चलता। इस काम में भले ही जरा सा समय लगता हो, लेकिन हमारी सेहत के लिए ये बहुत ही जरूरी है।
एजेंसी
देहरादून। आम तौर पर कोई व्यक्ति दिन में सात बार पेशाब करता है। इस काम में भले ही चंद सेकंड्स का समय लगे, लेकिन हमारा ब्लैडर 500 से 600 एमएल पेशाब रख सकता है। यानी पांच से तीन से चार गिलास के बराबर।
पेशाब न सिर्फ हमारे शरीर में जाने वाली पानी को बाहर निकालता है, बल्कि इसके जरिए अनावश्यक तत्व भी शरीर से बाहर चले जाते हैं। हमारी किडनी फिल्टर करके इन तत्वों को ब्लैडर में भेजती है जहां से पेशाब के रास्ते ये बाहर निकल जाते हैं।
जो नली पेशाब को ब्लैडर से शरीर से बाहर निकालती है, उसे यूरेथ्रा कहते हैं। महिलाओं में यूरेथ्रा की लंबाई 4.8 से 5.1 सेंटीमीटर तक होती है जबकि पुरुषों में ये लगभग 20 सेंटीमीटर होती है।
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तो हमारे अंग और मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। इसलिए बुजुर्ग लोगों को पेशाब करने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि उनकी मांसपेशिया और ब्लैडर कमजोर होने लगते हैं।
कमजोर अंगों की वजह से हो सकता है कि बुजुर्गों के ब्लैडर में पेशाब बाकी रह जाता हो। इसलिए उन्हें बार बार इसके लिए जाना पड़ता है।
पेशाब में लगभग तीन हजार तत्व होते हैं। 2013 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक पेशाब में 95 प्रतिशत पानी और तीन प्रतिशत यूरिया होता है। बाकी शरीर में प्रोटीन की प्रोसेसिंग से निकले अवयव होते हैं।
2014 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि पेशाब भी बैक्टीरिया से मुक्त नहीं होता।
पीला पेशाब शरीर में पानी की कमी को दिखाता है। हालांकि बीमारी से भी पेशाब का रंग पीला हो सकता है। अगर पेशाब का रंग लाल है तो इसका मतलब किडनी ठीक ना होना या फिर कैंसर हो सकता है।
पेशाब करते समय अगर दर्द हो तो समझ लीजिए आपको डॉक्टर के पास जाना है। इस दर्द का कारण किडनी, ब्लैडर या यूरेथ्रा में इन्फेक्शन हो सकता है।
पेशाब को रोके रखने से सैद्धांतिक रूप से इन्फेक्शन हो सकता है। लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसा नहीं मानते हैं। लेकिन अगर कोई मजबूरी न हो तो कर लेने में ही भलाई है।