बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

अब नही हो सकेगा आइवीएफ तकनीक का दुरुपयोग

अब नही हो सकेगा आइवीएफ तकनीक का दुरुपयोग



इसका इस्तेमाल कर 70 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी मां बन रही 
एजेंसी
नई दिल्ली। भारत सरकार जल्द ही एक ऐसा विधेयक लाने वाली है जिसमें आइवीएफ के जरिए गर्भधारण करने की अधिकतम उम्र 50 वर्ष होगी। आईवीएफ तकनीक और एआरटी क्लीनिकों की सेवाओं को कानून के दायरे में लाने के लिए सरकार संसद के अगले सत्र में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलाजी रेगुलेशन बिल 2019 पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो गर्भवती होने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से गुजरने वाली महिलाओं की आयु सीमा को कम कर देगी। विधेयक के मसौदे के अनुसार जो महिलाएं आइवीएफ के माध्यम से गर्भधारण करना चाहती हैं उनकी अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष होनी चाहिए।
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है, जो अधिक उम्र में भी महिलाओं को मां बनने का अवसर प्रदान करता है। इसकी मदद से निःसंतान दंपति भी संतान सुख पा सकते हैं। इसमें महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एक साथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में स्थापित कर देते हैं। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर व टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। इस तकनीक से 50 से 60 वर्ष की महिलाएं भी मां बन सकती हैं।
लेकिन अब तक देश में इस तकनीक का इस्तेमाल कर 70 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी मां बन रही हैं। इसका उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी की 74 वर्षीय मंगयम्मा ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। बच्चों का जन्म सिजेरियन आपरेशन के जरिए हुआ था। चार डाक्टरों की एक टीम ने यह आपरेशन किया था। डाक्टरों की टीम का नेतृत्व करने वाले डाक्टर एस0 उमाशंकर ने कहा कि मंगायम्मा सबसे अधिक उम्र में बच्चों को जन्म देने वाली दुनिया की इकलौती महिला बन गई है। हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब इस तकनीक का उपयोग कर किसी बुजुर्ग महिला को मां बनाया गया हो। इससे पहले हरियाणा की 70 वर्षीय दलजिंदर कौर को बच्चे को जन्म देने वाली दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला माना जाता था।
दलजिंदर कौर ने 2016 में आइवीएफ तकनीक की इस्तेमाल कर एक बच्चे को जन्म दिया था। भले ही इस तकनीक के जरिए अधेड़ उम्र की महिलाएं मां बन रही हैं लेकिन इसने उस बहस को भी छेड़ दिया है कि क्या 70 के बाद किसी महिलाओं का मां बनना सही है, क्या यह तकनीक का दुरुपयोग नहीं है। इसके बाद ही डाक्टरों ने माना कि 50 से अधिक उम्र की किसी भी महिला को मां बनाना इस तकनीक का गलत इस्तेमाल है। डाक्टरों ने आइवीएफ मामले में एक उम्र तय किए जाने की बात कही है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक अगर कोई जोड़ा बच्चा गोद लेना चाहता है तो महिला की उम्र-50 वर्ष और पुरुष की आयु 55 वर्ष होनी चाहिए। ऐसे में डाक्टरों का कहना है कि एक महिला नौ महीने तक अपने पेट में बच्चे को रखने जा रही है इसमें उसका स्वस्थ होना और तंदरुस्त होना बहुत जरूरी है। और जब बच्चे के गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र तय है तो आईवीएपफ तकनीक से मां बनने की चाहत रखने वाली मां की उम्र भी तय की जानी चाहिए।
सरकार आइवीएफ तकनीक से बच्चे पैदा करने की अधिकतम आयु 50 साल करने जा रही है। इस बिल का मकसद आइवीएफ तकनीक को नियंत्रित और निगरानी करने के साथ इस तकनीक को करने वाले प्रयोगशालाओं लैब्स की पूरी निगरानी और मापदंड के आधार पर उन्हें लाइसेंस र्प्रदान करना भी शामिल है। इस प्रस्तावित विधेयक में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एआरटी के माध्यम से तकनीक के हो रहे उपयोग पर रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही बांझपन के शिकार दंपति के शोषण को भी रोका जा सकेगा।


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