महाभारत की कथा काल्पनिक नहीं!
सनौली में मिले रथ और कंकाल के अध्ययन के बाद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का दावा
2018 में बागपत के सनौली गांव में पहली बार घोड़े से चलने वाला रथ, नौ कंकाल और युद्ध के तलवार मिले थे, जिसे हड़प्पाकालीन सभ्यता से जोड़ा गया लेकिन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दावा किया है कि खुदाई में मिले ये कंकाल और सामान चार हजार साल पुराने हैं।
एजेंसी
नई दिल्ली। 2018 में बागपत के सनौली गांव में पहली बार घोड़े से चलने वाला रथ, नौ कंकाल और युद्ध के तलवार मिले थे, जिसे हड़प्पाकालीन सभ्यता से जोड़ा गया था, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दावा किया है कि खुदाई में मिले ये कंकाल और सामान चार हजार साल पुराने हैं। शव को दफनाने और उसके पास रखे युद्ध के सामान इस बात के संकेत हैं कि ये महाभारतकाल के हैं। पुरातात्विक खुदाई से जुड़े रहे और एएसआई के डायरेक्टर संजय कुमार मंजुल कहते हैं कि सालभर पहले मैं ये नहीं कह सकता था, लेकिन कई सारे साइंटिफिक निष्कर्षों और जगहों के आधार पर इस बात के संकेत मिलते हैं कि ये महाभारतकालीन साइट है।
वे कहते हैं कि महाभारत के युद्ध में 25 अलग अलग जगहों से योद्धा लड़ने आए थे, मसलन गंधार जो आजकल कंधार, पानीपत, बरनावा, हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ, दिल्ली आदि जगहों का उल्लेख कई वेदों में भी मिलता है जो आज भी मौजूद है। हड़प्पा काल के सामानांतर ये सभ्यता चल रही थी जो महाभारत काल के समकक्ष थे क्योंकि जो वेदों में शव के दाह संस्कार के उल्लेख हैं और जगह का उल्लेख है वो सनौली की खुदाई में मिली चीजों से मेल खाते हैं। इसी के आधार पर कह रहे हैं कि ये महाभारत कालीन थे। हालांकि इतिहासकार पुरातत्वविदों के इस दावे से इत्तफाक नहीं रखते हैं। उनका कहना हैं कि भाषा के आधार पर इसमें कई विरोधाभास है।
सनौली में मिले युद्ध रथ की मेसोपोटामिया, ग्रीस और चीन में मिले रथ से तुलना करते हुए एएसआई के डायरेक्टर संजय मंजुल कहते हैं कि ग्रीक और मेसोपोटामिया में मिले रथ युद्ध रथ नहीं थे बल्कि इनका इस्तेमाल सामान ढोने के लिए होता था लेकिन सनौली में मिला रथ युद्ध रथ था क्योंकि ये घोड़े से चलने वाला हल्का रथ था। एएसआई ने अपने इस दावे को पेश करते हुए कई सीटी स्कैन और एक्स-रे करवाने का दावा भी किया। अभी कुछ दिन पहले राखीगढ़ी में मिले अवशेष का डीएनए रिपोर्ट के आधार पर एएसआई ने खुलासा करते हुए कहा था कि आर्य ग्रीस या मध्य एशिया से नहीं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के थे। यहीं से वे मध्य एशिया गए थे। अब उसका ये कहना है कि महाभारत काल्पनिक लड़ाई नहीं है, बल्कि पहली बार इसके प्रमाण सनौली में मिले ये, उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हैं।