रविवार, 10 नवंबर 2019

ईश्वर को जानने के बाद बदलता जाता है आध्यात्मिक जीवन:  बहन पिंकी 

प्यार और मिलवर्तन का अनोखा संगम 72वां निरंकारी संत समागम
ईश्वर को जानने के बाद बदलता जाता है आध्यात्मिक जीवन:  बहन पिंकी 



संवाददाता
देहरादून। धर्म समाज के सभी वर्गों में आध्यात्मिक जाग्रति, नैतिकता व सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने का साधन है। जरूरत है अहिंसक आध्यात्मिक क्रांति की, जो मानव में निहित उच्च मानवीय मूल्यों को जाग्रत कर सके। सही मायनों में धर्म का अर्थ है ईश्वर की अनुभूति या जानकारी प्राप्त करना है। जिससे समाज में मनुष्य के मानवीयता तथा विश्वबंधुत्व स्थापित हो सके। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन हरिद्वार बाईपास में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में सद्गुरु सुदीक्षा जी का सन्देश देते हुए ज्ञान प्रचार बहन पिंकी ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि ईश्वर को जानने के बाद व्यक्ति की सोच में परिवर्तन आता है। वह स्वयं को समाज के प्रत्येक व्यक्ति की सोच के साथ आसानी से जोड़ पाता है। एक जिम्मेदार समाज द्वारा आध्यात्मिक ठहराव को प्राप्त करना विश्व में धर्म तथा विकास की ओर कदम है जिससे सभी के जीवन में आध्यात्मिकता तथा भौतिकवाद का संतुलन स्थापित होता हैं।
पिंकी ने कहा कि विश्व के वैज्ञानिक लगातार हमें सचेत कर रहें है कि हमारे पास समय बहुत कम है जिसमें विशेष परिवर्तन की जरूरत है। जिससे हम पर्यावरण से स्वयं  को सकारात्मक रुप में जोड़ कर वर्तमान की निर्जीव, संवेदन शून्य व केंद्रित जीवनशैली को अधिक सार्थक, सतत, स्वस्थ तथा जीवन दायनी बना सकें।
उन्होंने कहा कि बाबा हरदेव सिंह का सन्देश यदि शांति पर आधारित विकास समय की मांग है, तो ईश्वरीय ज्ञान के द्वारा आध्यात्मिक जाग्रति ही एकमात्र साधन है, आज के परिवेश में सार्थक साबित होता है। निंरकारी मिशन द्वारा दिए गए सन्देश धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं' तथा एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओं विश्व को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बता दें कि इस वर्ष निरंकारी मिशन में उत्तराखण्ड के देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी से करीब 50 हजार निरंकारी सद्गुरु के दर्शनों के लिए समागम में पहंुचेंगे। वहीं सन्तों के रहने की पूर्ण व्यवस्थाओं को निरंकारी सेवादल के द्वारा सुन्दर रूप प्रदान किया जा रहा है जैसे पंड़ाल, प्याऊ, लंगर, पार्किग, डिस्पैन्सरी एवं कैन्टीन, इत्यादि की समस्त व्यवस्था को निरंकारी सद्गुरू माता सुदिक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से लगभग 10 हजार सेवादार प्रत्येक दिन अपनी-अपनी सेवाओं को निभा रहें है। 
मंच संचालन शीतल डोला ने किया।


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