बुधवार, 13 नवंबर 2019

केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील हो उत्तराखंड: मोर्चा     

केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील हो उत्तराखंड: मोर्चा             


- माफियाओं का हो गया बोलबाला       

- हत्या/ लूट/ बलात्कार के मामले में हुई अप्रत्याशित वृद्धि| 

- शिक्षा /चिकित्सा के क्षेत्र में भारी गिरावट 

- पहाड़ों से तेजी से हो रहा पलायन         

- प्रदेश हो गया आर्थिक रूप से कंगाल 

- बेरोजगारी से युवा बेहाल             

- सामरिक दृष्टि से स्थिति चिंताजनक    

- रेत- बजरी प्रति ट्रक 20 -25 हजार में खरीदने को मजबूर 

- भ्रष्टाचार के मामले में उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य           

- हर छोटे-बड़े काम के लिए जाना पड़ता है न्यायालय की शरण में 

- अगर कुछ हुआ है तो सिर्फ नेताओं का विकास |प्रधान बनने की हैसियत न रखने वाले बने सीएम/ मंत्री/ विधायक     

संवाददाता

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि राज्य गठन के 19 वर्षों के कार्यकाल में प्रदेश को अगर कुछ हासिल हुआ है तो सिर्फ नेताओं की फौज| जिन लोगों की हैसियत प्रधान बनने की तक नहीं थी वह आज मुख्यमंत्री/ मंत्री और विधायक बन बैठे, नतीजा यह हुआ कि ब्यूरोक्रेट्स इनकी योग्यता को भापकर कर इनको अपने चाबुक से चलाने लगे तथा कई मामलों में अधिकारियों ने इन नेताओं से सांठगांठ कर ठेकेदारी/ मुनाफाखोरी का कार्य आरंभ कर दिया | 

नेगी ने कहा दुर्भाग्य की बात है कि राज्य गठन का उद्देश्य प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ शिक्षा/ रोजगार/ स्वास्थ्य/ सुशासन, सुलभ न्याय आदि तमाम मुद्दों को लेकर हुआ था, पलायन भी बड़ा मुद्दा था, लेकिन जनता को न्याय मिलना तो दूर सिर्फ ठोकर ही मिली | नेगी ने कहा कि राज्य गठन की सारी अवधारणा चूर- चूर होकर रह गई है तथा प्रदेश में माफियाओं/ लुटेरों/ बलात्कारियों/ जालसाओं का राज स्थापित हो गया है| स्वास्थ्य -शिक्षा के क्षेत्र में इतनी गिरावट आई है की हजारों स्कूल अस्पताल बंद हो गए तथा सरकारी अस्पताल भी भगवान भरोसे चल रहे हैं |

उन्होंने कहा कि प्रदेश में युवाओं को रोजगार मिलना एक दिव्य स्वप्न हो गया है तथा सुविधाओं के अभाव में बहुत तेजी से पलायन हो रहा है | आलम यह है कि प्रदेश में माफिया राज स्थापित होने के कारण रेत- बजरी 20 -25 हजार प्रति ट्रक  बिक रहे हैं | जनता को न्याय पाने के लिए न्यायालय का सहारा लेना पड़ रहा है | ब्यूरोक्रेसी इस कदर हावी है कि अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी की बात मानने को तैयार नहीं है |             पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, मोहम्मद असद, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे

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