शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

सब इंस्पैक्टर को अवनत करने तथा सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने का एसएसपी को अधिकार नहीं







सब इंस्पैक्टर को अवनत करने तथा सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने का एसएसपी को अधिकार नहीं

उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस महानिरीक्षक के आदेश को निरस्त करते हुये किया निर्णीत 

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की नैनीताल पीठ ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को किसी सब इंस्पैक्टर को अवनत करने का दंड देने का अधिकार नहीं है औैर न ही कार्मिकों को सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने का दंड दिया जा सकता है। उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण ने सब इंस्पैक्टर अकरम अहमद को एसएसपी उधमसिंह नगर द्वारा दिये गये दण्डादेशों को निरस्त कर दिया तथा इससे संबंधित आई.जी.कुमाऊं के अपील आदेशों को भी निरस्त कर दिया। 

वर्तमान में बागेश्वर जिले में तैनात पुलिस सब इंस्पैक्टर अकरम अहमद की ओेर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने लोक सेवा अधिकरण नैनीताल पीठ में इस वर्ष मार्च में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि काशीपुर थाने में तैनाती के दौरान जनवरी 2018 में यह आरोप लगाते हुये कि उसने सट्टा चलाने वालों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की तथा ऐेसी गैर कानूनी गतिविधि की अनुमति दी पर पुलिस उपाधीक्षक काशीपुर द्वारा जांच की गयी। इसके उपरान्त अपर पुलिस अधीक्षक काशीपुर द्वारा विभागीय कार्यवाही की गयी तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंहनगर  ने अकरम अहमद के पक्ष पर विचार किये बगैर उसे सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने तथा एक वर्ष के लिये सब इंस्पैक्टर के न्यूनतम वेतनमान पर अवनत करने का दंड दे दिया गया। इसके खिलाफ अकरम ने अपील की जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये बगैर तत्कालीन आईजी जोन कुमाऊं पूरन सिंह रावत ने इनकी अपीलों को निरस्त कर दिया। इस पर अकरम द्वारा अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में दावा याचिका दायर की। याचिका में अकरम अहमद के विरूद्ध विभागीय दंण्ड के आदेशों को निरस्त करने का निवेदन किया गया। पुलिस विभाग व सरकार की ओर से प्रति शपथ पत्र दाखिल करके दण्ड आदेशों तथा अपील आदेशों को सही बताते हुये याचिका निरस्त करने की प्रार्थना की गयी। 

याचिकाकर्ता की ओर सेे अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट के विजय सिंह बनाम स्टेट ऑॅफ यूपी के निर्णय सहित विभिन्न रूलिंग प्रस्तुत करते हुये सत्यनिष्ठता प्रमाण पत्र रोकने का दंड देने का अधिकार विभागीय अधिकारी को नहीं होने तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर, पुलिस अधिनियम के अन्तर्गत सब इंस्पैक्टर को अवनत करने का दंड देने का अधिकार न होने का तर्क दिया तथा दंड आदेश तथा अपील आदेशों को निरस्त होने योग्य बताया। 

अधिकरण के उपाध्यक्ष राम सिंह तथा एएस नयाल की पीठ ने नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि सम्बन्धित सेवा नियमावली में सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकनेे का दंण्ड शामिल नहीं है तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सब इंस्पैक्टर को केवल निन्दा प्रविष्टि तथा एक माह तक वेतन के जुर्माने से दंडित करने का ही अधिकार है। उसे कोई अन्य दंड देने का अधिकार नहीं है। इसलिये यह दण्ड नहीं दिये जा सकते है।

अधिकरण की नैनीताल पीठ ने एक वर्ष के लिये सब इंस्पैक्टर के न्यूनतम वेतनमान पर अवनत करने के दण्डादेश दिनांक 01-08-2018 तथा सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र रोकने संबंधी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर के दण्डादेश दिनांक 07-09-2018 तथा इससे सम्बन्धित पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं नैनीताल के आदेश की पुष्टि करने वाले अपील आदेशों दिनांक 30-10-2018 को निरस्त करने का आदेश दिया। विपक्षियों को याचिका कर्ता केे सेवा अभिलेखों से सम्बन्धित प्रविष्टियों को हटाने को भी आदेशित किया गया है। अधिकरण ने इस क्लेम पिटीशन का फैसला दायर होने से आठ माह में किया है।

 






 


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