शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

बंगाली भक्तों ने खोजा था कालीचौड़ मंदिर

बंगाली भक्तों ने खोजा था कालीचौड़ मंदिर



दीपक नौगांई
हल्द्वानी। काठगोदाम से 5 किलोमीटर दूर घने जंगल में काली माता का मंदिर उसी स्थान पर है जहां सुल्ताना डाकू भी शरण लिया करता था। समीप ही सुल्तान नगरी है। 1930 के दशक में कोलकाता के एक भक्त को माता ने सपने में इस स्थान के बारे में बताया था। 
भक्त ने हल्द्वानी पहुंचकर अपने मित्र राजकुमार चूड़ी वाले के सहयोग से इस स्थान को खोजा था। चूड़ी कारोबारी के परिवार ने कई दशकों तक मंदिर की व्यवस्थाएं संभाली। यहां खुदाई में कई मूर्तियां और एक ताम्रपत्र निकला जिसमें पाली भाषा में देवी का महात्म्य अंकित है। 
पंचांग कार राम दत्त जोशी के पिता ने खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की और राम दत्त जोशी ने सबसे पहले यहां भागवत कथा का पाठ करवाया। मंदिर को गौलापार के जमीदार में हरा ठोकदार ने बनवाया था। 
यही वह स्थान है जहां आदि गुरु शंकराचार्य के कदम उत्तराखंड भ्रमण मैं सर्वप्रथम पड़े थे। गुरु गोरखनाथ, सोमवारी बाबा, हैडाखान बाबा, नानतीन महाराज ने भी यहां साधना की थी। मंदिर संचालन हेतु प्रबंधन समिति का गठन किया गया है।


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