रविवार, 8 दिसंबर 2019

गोपनीयता को उजागर करने का रहस्य!

गोपनीयता को उजागर करने का रहस्य!



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। हालिया दिनों में एक पत्रकार की गिरफ्रतारी और उसके बाद पुलिस और प्रदेश सरकार के रवैये के खिलाफ पत्रकारों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया। पत्रकार की गिरफ्रतारी को लेकर सरकार के खिलाफ पत्रकारों के एक समूह ने धरना प्रदर्शन भी किया। हालांकि पत्रकारों का रोष उक्त पत्रकार पर कारवाई से ज्यादा पुलिस के दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर था। बात यह भी उठी कि पुलिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय से उक्त पत्रकार को सबक सिखाने के लिए दबाव डाला गया। आमतौर पर यह उम्मीद नही की जाती कि प्रदेश का मुखिया इस तरह के स्तर तक उतरेगा। यहां भी यही धरणा कायम रही लेकिन प्रदेश के खुफिया विभाग के विभिन्न सूत्रों ने इस बात को हवा दे दी कि उक्त पत्रकार को सबक सिखाने का उपर से फरमान आया था। 
तो भी इस बात पर यकीन नही होता था। अब रही सही कसर सीएम कार्यालय से एसएसपी को जारी पत्र ने कर दी। यहां भी एक गोपनीय पत्र के सार्वजनिक होने का रहस्य संदेह को बढ़ावा दे रहा है। सवाल उठने लाजमी है कि यह कैसी गोपनीय रिपोर्ट मांगी गई है जिसको सार्वजनिक कर दिया गया है। बहुत से लोग एसएसपी कार्यालय को इसके लीक होने की जगह बता रहें है। भले ही यह जांच का विषय हो परन्तु इसकी संभावना कम ही लगती है कि उक्त पत्र एसएसपी दफ्रतर से सार्वजनिक हुई होगी। क्योंकि वहां का सिस्टम और आदत दोनों लीकेज प्रूफ होने की गवाही देते है। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से ऐसी लीकेज पर यकीन किया जा सकता है।
खासकर कोई बन्दा अपनी गुड्डी अप करने के लिए भी ऐसा कर सकता है। फिर सवाल सही या गलत ठहराने की नही हो रही है। बल्कि सरकारी कार्यालयों की गोपनीयता और सुरक्षा को लेकर हो रही है। साथ ही यह आसूचना विभाग की प्रतिष्ठा से जुड़ा मामला भी है। जब तक जांच होकर दूध का दूध, पानी का पानी नही हो जाता, पूरे मामले में संदेह की सुई उनपर उठती रहेगी, जो जिम्मेदार है और अक्सर जिम्मेदारी से काम को अंजाम देते है। लेकिन यदि यह काम मुख्यमंत्री कार्यालय से हुआ है तो वास्तव में इसे शर्मनाक ही कहा जायेगा। क्योंकि वहां से ऐसा होने का मतलब है कि पत्र का इस्तेमाल सहानुभुति बटोरने के लिए किया गया। अपने को पाक साफ करने के लिए किया जा रहा है जो उचित नही कहा जायेगा।


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