शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

इसरो के संचार उपग्रह की अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनाती

इसरो के संचार उपग्रह की अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनाती



इसकी मदद से 5जी इंटरनेट सेवा की देश में शुरुआत की जा सकती है
एजेंसी
पेरिस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसरो का जीसैट-30 को यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन-5 से 17 जनवरी को तड़के 2.35 मिनट पर फ्रांस के फ्रेंच गुएना स्थित कोरोउ द्वीप से छोड़ा गया। थोड़ी देर बाद जीसैट-30 से एरियन-5 वीए251 का ऊपरी हिस्सा सफलतापूर्वक अलग हो गया और अपनी तय कक्षा में स्थापित भी हो गया। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का 2020 में यह पहला मिशन है. 
इसरो के मुताबिक जीसैट-30 एक संचार उपग्रह है। यह इनसैट-4ए सैटेलाइट की जगह काम करेगा। दरअसल इनसैट सैटेलाइट-4 की उम्र अब पूरी हो रही है और इंटरनेट टेक्नोलॉजी में तेजी से बदलाव आ रहा है। इस वजह से ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए इसरो ने जीसैट-30 लॉन्च किया है।
इस उपग्रह के लॉन्च होने के बाद देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इसकी मदद से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है। साथ ही पूरे देश में मोबाइल नेटवर्क फैल जाएगा, जहां अभी तक मोबाइल सेवा नहीं है। माना जा रहा है कि इसकी मदद से 5जी इंटरनेट सेवा की देश में शुरुआत की जा सकती है।
जीसैट-30 जीसैट सीरीज का बेहद ताकतवर संचार उपग्रह है जिसकी मदद से देश की संचार प्रणाली में और इजाफा होगा। अभी जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं। इनकी बदौलत ही देश में संचार व्यवस्था कायम है। 
जीसैट-30 की मदद से देश की संचार प्रणाली, टेलीविजन प्रसारण, सैटेलाइट के जरिए समाचार प्रबंधन, समाज के लिए काम आने वाली जियोस्पेशियल सुविधाओं, मौसम संबंधी जानकारी और भविष्यवाणी, आपदाओं की पूर्व सूचना और खोजबीन और रेस्क्यू ऑपरेशन में इजाफा होगा।
यह लॉन्च होने के बाद 15 सालों तक पृथ्वी के ऊपर भारत के लिए काम करता रहेगा। इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जो इसे ऊर्जा प्रदान करेगी।
देश के पुराना संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र अब पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई टेक्नोलॉजी आ रही है। ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं। 5जी तकनीक पर काम चल रहा है। ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। जीसैट-30 सैटेलाइट इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा।


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