मंगलवार, 28 जनवरी 2020

खत्म हुआ अलग बोडोलैंड राज्य विवाद!

खत्म हुआ अलग बोडोलैंड राज्य विवाद!



गृहमंत्री का ऐलान- उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्वर्णिम भविष्घ्य सुनिश्चित होगा।
एजेंसी
गुवाहाटी। पूर्वाेत्तर के राज्यों से उग्रवाद के खात्मे का वादा करके सत्ता में आई केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इस दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो उग्रवादियों के प्रतिनिधियों ने असम समझौता 2020 पर हस्घ्ताक्षर किए। इस समझौते के साथ ही करीब 50 साल से चला रहा बोडोलैंड विवाद समाप्त हो गया, जिसमें अब तक 2823 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले 27 साल में यह तीसरा असम समझौता है। सूत्रों के मुताबिक इस विवाद के जल्द समाधान के लिए मोदी सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी और अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इसमें तेजी आई।
इस मौके पर गृह मंत्री ने ऐलान किया कि उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्वर्णिम भविष्घ्य सुनिश्चित होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार बोडो लोगों से किए गए अपने सभी वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद अब कोई अलग राज्य नहीं बनाया जाएगा।
करीब करीब 50 साल पहले असम के बोडो बहुल इलाकों में अलग राज्य बनाए जाने को लेकर हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्घ्व एनडीएफबी ने किया। यह विरोध इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत एनडीएफबी को गैरकानूनी घोषित कर दिया। बोडो उग्रवादियों पर हिंसा, जबरन उगाही और हत्या का आरोप है। 2823 लोग इस हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं।
बता दें कि बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 5 से 6 प्रतिशत है। यही नहीं, लंबे समय तक असम के बड़े हिस्से पर बोडो आदिवासियों का नियंत्रण रहा है। असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक का गठन किया गया है। इन जिलों में कई अन्य जातीय समूह भी रहते हैं। बोडो लोगों ने वर्ष 1966-67 में राजनीतिक समूह प्लेन्स ट्राइबल काउंसिल ऑफ असम के बैनर तले अलग राज्य बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की।
साल 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन ने एक बार फिर से बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की। यूनियन के नेता उपेंद्र नाथ ब्रह्मा ने उस समय असम को 50-50 में बांटने की मांग की। दरअसल यह विवाद असम आंदोलन (1979-85) का परिणाम था जो असम समझौते के बाद शुरू हुआ। असम समझौते में असम के लोगों के हितों के संरक्षण की बात कही गई थी। इसके फलस्वरूप बोडो लोगों ने अपनी पहचान बचाने के लिए एक आंदोलन शुरू कर दिया। दिसंबर 2014 में अलगाववादियों ने कोकराझार और सोनितपुर में 30 लोगों की हत्या कर दी। इससे पहले वर्ष 2012 में बोडो-मुस्लिम दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख लोग विस्थापित हो गए थे।
वर्ष 1990 के दशक में सुरक्षा बलों ने एनडीएफबी के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया। अभियान को देखते हुए ये उग्रवादी पड़ोसी देश भूटान भाग गए। वहां से एनडीएफबी के लोगों ने अपना अभियान जारी रखा। वर्ष 2000 के आसपास भूटान की शाही सेना ने भारतीय सेना के साथ मिलकर आतंकवाद निरोधक अभियान चलाया जिसमें इस गुट की कमर टूट गई।
अक्टूबर 2008 में एनडीएफबी ने असम के कई हिस्घ्सों में बम हमले किए गए जिसमें 90 लोगों की मौत हो गई। उसी साल एनडीएफबी के संस्थापक रंजन दिमारी को हमलों के लिए दोषी ठहराया गया। इन विस्फोटों के बाद एनडीएफबी दो भागों में बंट गई। एनडीएफबी (पी) का नेतृत्घ्व गोविंदा बासुमतारी और एनडीएफबी (आर) रंजन ने किया। वर्ष 2009 में एनडीएफबी (पी) ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू की। वर्ष 2010 में रंजन दिमारी को बांग्लादेश ने अरेस्ट करके भारत को सौंप दिया। वर्ष 2013 में रंजन को जमानत मिल गई। अब दोनों ही गुटों ने केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर दी।
समझौते के बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समझौता असम में रहने वाले बोडो आदिवासियों को कुछ राजनीतिक अधिकार और समुदाय के लिए कुछ आर्थिक पैकेज मुहैया कराएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि असम की क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखी जाएगी तथा एनडीएफबी की अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की प्रमुख मांग नहीं मांगी गई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समझौता राज्य के विभाजन के बिना संविधान की रूपरेखा के अंदर किया गया है। अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्री समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने को लेकर उत्सुक थे ताकि असम में बोडो उग्रवाद समाप्त किया जा सके और राज्य के बोडो बहुल क्षेत्रों में दीर्घकालिक शांति लौटे।


मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी

 मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी संवाददाता देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण न...