रविवार, 5 अप्रैल 2020

चीन के लैब से फैला कोरोना वायरस!

चीन के लैब से फैला कोरोना वायरस!



ब्रिटिश खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में किया दावा
एजेंसी
लंदन। दुनिया भर के देश कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। यह खतरनाक वायरस कहां से फैला इसे लेकर कई देशों की सरकारें पता लगाने का प्रयास कर रही हैं। इस बीच ब्रिटिश खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण पहले चीन के लैब से जानवरों में हुआ और उसके बाद वह इंसानों में फैला। 
ब्रिटेन सरकार को ब्रिटिश की खुफिया एजेंसी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक चीन की वुहान लैब में इबोला, निपाह, सॉर्स और दूसरे घातक वायरसों पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस नोटिस कर रहे थे। मेडिकल हिस्ट्री में ऐसा वायरस पहले कभी नहीं देखा गया था। इसके जेनेटिक सीक्वेंस को गौर से देखने पर पता चल रहा था कि ये चमगादड़ में पाए जाने वाले वायरस के करीबी हो सकते हैं। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिक हैरान थे क्योंकि इस वायरस में वो सार्स वायरस के साथ समानता को देख पा रहे थे, जिसने 2002-2003 में चीन में महामारी ला दी थी और दुनिया भर में 700 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उस वक्त भी ये बताया गया था कि सार्स छूने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है, लेकिन तब चीन इस वायरस को छुपा ले गया था।
डेली मेल की खबर के मुताबिक भले ही अब तक वैज्ञानिकों का यही मानना रहा है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान के पशु बाजार से इंसानों में फैला लेकिन चीनी लैब से हुई लीक की बात को नकारा नहीं जा सकता। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन की बनाई गई इमरजेंसी कमेटी कोबरा के एक सदस्य ने कहा कि पिछली रात मिली खुफिया सूचना मिली, जिसके मुताबिक इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि वायरस जानवरों से ही फैला है। हालांकि, ये भी साफ होता जा रहा है कि वुहान के लैब से होकर ही ये वायरस इंसानों में फैलना शुरू हुआ था।
डेली मेल की खबर के मुताबिक वुहान में इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है, जहां कई तरह की टेस्टिंग होती है। चीन में यह सबसे एडवांस लैब बताया जाता है। यह इंस्टिट्यूट जानवरों के बाजार से महज 10 मील दूर बना है। इसके अलावा वुहान सेटंर फॉर डिजिज कंट्रोल भी वुहान के पशु बाजार से करीब तीन मील दूर है। बता दें कि चीन के अखबार पीपल्स डेली ने 2018 में कहा था कि यह घातक इबोला वायरस जैसे माइक्रोऑर्गेनिजम पर टेस्टिंग करने की काबिलियत रखता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंस्टिट्यूट के कर्मचारियों के खून में सबसे पहले कोरोना का इन्फेक्शन हुआ और फिर इसने स्थानीय आबादी को संक्रमित किया है।


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