रविवार, 12 अप्रैल 2020

हिंदू पुराणों में संक्रमण से बचने के उपाय

हिंदू पुराणों में संक्रमण से बचने के उपाय



इन्हें आजमाया तो हर वायरस आपसे दूर रहेगा
प0नि0डेस्क
देहरादून। कोरोना वायरस के चलते इस समय दुनियाभर में हाहाकार मची हुई हैं. अभी तक इस वायरस का इलाज खोजा नहीं गया हैं। ऐसे में इससे बचने का एक मात्रा उपाय यही हैं कि आप खुद को इससे बचाकर रखे। ऐसा करने के लिए फिलहाल आपको घर में कैद रहने की सलाह दी जा रही हैं। इसके साथ ही हाथ मुंह बार बार धोना, हाथ मिलाने की बजाए नमस्ते करना और मुंह सिर इत्यादि ढक कर रखना जैसी सलाहें भी दी जा रही हैं। यदि आप ने नोटिस किया हो तो इन सजेशन के माध्यम से हम एक बार फिर प्राचीन संस्कृति और मान्यताओं की तरफ मुड़ रहे हैं। ऐसे में आज हम आपको शास्त्रों में बताए गए कुछ उन श्लोकों के अर्थ बताने जा रहे हैं जो आपको संक्रमण से दूर रखने का ज्ञान देते हैं। अर्थात हमारे शास्त्रों में संक्रमण से बचाव के उपाय पहले से ही मौजूद हैं।
लवणं व्यंजनं चैव घृतं तैलं तथैव च। लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्। धर्मसिंधु में लिखे इस श्लोक का अर्थ हैं आपको नमक, घी, तेल या फिर कोई अन्य व्यंजन, पेय पदार्थ या फिर खाने का कोई भी सामान तब नहीं खाना हैं जब वो हाथ से परोसा गया हो। इसलिए आपको हमेशा करछी से परोसा गया खाना ही खाना चाहिए।
न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्। विष्णुस्मृति में वर्णित इस श्लोक का मतलब हैं कि आपको एक बार पहने गए कपड़ों को बिना धोए दोबारा नहीं पहनना चाहिए। इन कपड़ों में वातावरण में मौजूद जीवाणु और विषाणु लग सकते हैं इसलिए इन्हें धोने के बाद ही दोबारा धारण किया जाना चाहिए।
घ्राणास्ये वाससाच्छा। मलमूत्रां त्यजेत् बुधः। नियम्य प्रयतो वाचं संवीताउ्गोत्वगुण्ठितः। वाधूल स्मृति और मनु स्मृति में बतलाए गए इस श्लोक का अर्थ हैं कि आपको अपने नाक, मुंह और सिर को ढककर रखना चाहिए। इसके साथ ही मौन रहकर मल मूत्रा त्यागना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो संक्रमण के खतरे कम हो जाते हैं।
चिताधूमसेवने सर्वे वर्णाः स्नानम् आचरेयुः। वमने श्मश्रुकर्मणि कृते च। विष्णुस्मृति में लिखे इस श्लोक में बताया गया हैं कि शमशान से आने के बाद, उल्टी होने के बाद, दाढ़ी बनवाने के बाद और बाल कटवाने के बाद घर में प्रवेश करते ही आपको सवर्प्रथम स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से संक्रमण नहीं होता हैं।
अपमृज्यान्न च स्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभिः। मार्कण्डेय पुराण में लिखे गए इस श्लोक का मतलब हैं कि आपको अपने शरीर को कभी भी गीले कपड़े से नहीं पोछना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो स्किन में संक्रमण का चांस बढ़ जाता हैं। इसलिए हमेशा सूखे कपड़े यानी तौलिए से ही अपनी बाडी को पोंछना चाहिए।
उम्मीद करते हैं कि आप हमारे शास्त्रों में बताए गए इन तरीकों पर गौर अवश्य करेंगे। खासकर कोरोना वायरस के इस माहोल में ये आदतें कापफी कारगर सिद्व हो सकती हैं। 


माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

  माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...