गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

लिक्विड आक्सीजन थिरेपी की पृष्ठभूमि एवं स्वास्थ्य लाभ 

लिक्विड आक्सीजन थिरेपी की पृष्ठभूमि एवं स्वास्थ्य लाभ 



स्वास्थ्य लाभ या बीमारी से लड़ने के लिए पर्याप्त आक्सीजन शरीर के लिए आवश्यक 


एसपी सभरवाल
देहरादून। विज्ञान के छात्र जानते हैं कि पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग पांचवां भाग याने 20 प्रतिशत आक्सीजन गैस है जिसके बिना कोई जीव-जन्तु जिन्दा नहीं रह सकता। मनुष्य के रक्त में आक्सीजन का संचार हर श्वास के साथ होता है तथा इसका प्रतिशत स्तर आक्सीजन-माप यन्त्र के 100 में से कम से कम 95 प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इस प्रतिशत स्तर के नीचे बीमारी से लड़ने की प्रतिरक्षा गौण होने का भय रहता है तथा बीमारी-कारक जीवाणु इसे और नीचे ले जाते हैं, जैसा कि कोरोना-19 वायरस के बारे में बताया गया है कि यह इस स्तर को 90 से नीचे ले जाता है।
शरीर की नैसर्गिक प्रतिरक्षा शक्ति इस के मुकाबला रक्त संचार को ऊपर स्तर पर ले जाने तथा अधिक आक्सीजन पहुंचाने के लिए हृदयगति को तेज करती है जिसे हम बुखार की शक्ल में महसूस करते है। अधिक रक्त संचार से शरीर का तापमान बढ़ने लगता है तथा इस द्वन्द में आक्सीजन के ऊंचे स्तर वाला व्यक्ति ही बीमारी को हराने में सफल रहता है। आक्सीजन बीमारी-कारक जीवाणु को जलाने जैसी प्रक्रिया का काम करती है।
आक्सीजन के इस कार्य में दवाइयां तथा अन्य पथ्य शरीर की सहायता करते है। जब ये पथ्य पर्याप्त मात्रा में सहायता उपलब्ध नहीं करा पाते तो डाक्टर मरीज को अधिक आक्सीजन मुहैया कराने के लिए वेंटीलेटर पर डालते हैं।
इससे साफ जाहिर है कि स्वास्थ्य लाभ या बीमारी से लड़ने के लिए पर्याप्त आक्सीजन शरीर के लिए आवश्यक है। इसके लिए कई विकल्प है। जैसे वैंटीलेटर, कुछ बड़े शहरों में उपलब्ध आक्सीजन पार्लर, बेरिक आक्सीजन चैम्बर, माउंटैनियरों द्वारा प्रयुक्त हल्के आक्सीजन कैन, श्वास-प्रश्वास क्रिया अथवा अनुलोम- विलोम प्राणायाम तथा फ़ूडग्रेड हाईड्रोजन परोक्साईड जिसे लिक्विड आक्सीजन की संज्ञा भी दी जाती है। आक्सीजन की उपलब्धि व उपचार की सुविधा के नजरिये से हाईड्रोजन परोक्साईड इन सबमें बेहतर है। 



चेतावनीः किसी एक्सपर्ट की देख-रेख में ही उपयोग करें। बिना 1000 गुणा पानी मिलाये 3 प्रतिशत वाले पफ़ूडग्रेड हाईड्रोजन परोक्साईड से नुकसान हो सकता है। इससे अच्छा तो आप इसे छुएं ही नहीं।
लेखक द्वारा उपयोगः इस चर्चा को आगे ले जाने से पहले पब्लिक इंट्रेस्ट में लेखक स्वयं द्वारा इसके उपयोग का उल्लेख करना आवश्यक समझता है, परन्तु जानकार व्यक्ति की देख-रेख के बिना उपयोग की सलाह नहीं देता। लिक्विड आक्सीजन का लेखक ने अपने ऊपर प्रयोग किया। 2017 में लेखक की उम्र 84 वर्ष की थी तो उसे आक्सीजन डेफिश्येंसी याने सांस लेने में तकलीफ हुई तो उन्होंने इंटरनेट पर सभी मेडिकल विधाओं में इसके उपचार ढूंढे जिस में सबसे अधिक जिक्र हाथ में पकड़ कुछ बूंदें दवाई की डालकर बार-बार नाक में स्प्रे (spray)  करने वाले यन्त्र का प्रयोग आसान लगा जैसा कि पाठकों ने कई वयोवृद्व, दमे के मरीज व्यक्तियों को करते देखा होगा। आयुर्वेद में च्यवनप्राश, वासावलेह आदि का जिक्र भी देखा। आक्सीजन लेने की कई विधियों को भी पढ़ा। उनमें सबसे सुलभ आक्सीजन कैन लगा जो चार सौ रुपये में लगभग चार-पांच दिन चलता है। मुंह में लगाया और दिन में एक-दो बार सांस ले लिया। राहत मिली। आम उपयोग के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा क्लीयर भी किया गया है।
इसी दौरान कुछ साईट्स पर फ़ूडग्रेड हाईड्रोजन परोक्साईड के जिक्र पर भी नजर पड़ी और संबंधित क्वालीफाइड डाक्टरों द्वारा लिखित लिट्रेचर भी पढ़ा। फिर हाईड्रोजन परोक्साईड की उपलब्धि पर भी सर्च किया तो पाया कि खाद्य ग्रेड का हाईड्रोजन परोक्साईड न तो भारत में बनता है और न ही बिकता है। उसका प्रबन्ध हो गया और फरवरी 2018 से लेखक उसे बदस्तूर ले रहा है। राहत के अलावा पाया कि उच्च रक्तचाप(high blood pressure) जिसका उपचार 30 वर्ष से चल रहा था, अप्रैल 2019 से उसकी भी आवश्यकता नहीं रही।
सितम्बर 2018 में वायरल बुखार के लक्षण शुरु होने पर लेखक ने अपने लम्बे अध्ययन के अनुसार, पांच-पांच बूंदें कानों में डालीं, जिससे साइनस जो चोक हो गये तथा सिर में भरा-भरा सा लग रहा था उस से शीघ्र राहत  मिली। इस बीच लेखक के सम्पर्क में आने वाले कुछ अन्य लोगों ने लेखक को 5 बूंदें एक कप R.O. के पानी में लेते देखा और ट्राई करने की उत्सुकता दिखाई।
चकराता रोड स्थित कैपरी ट्रेड मार्ट के केयरटेकर दिनेश शर्मा की 80 वर्र्षीय माता जी को मार्च 2018 के आरम्भ में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी कि अब चार दिन की मेहमान हैं, अब घर पर ही बाकी देखभाल कर लें। उन्होंने लिक्विड आक्सीजन लेखक से लिया और एक सप्ताह बाद फिर लेने आ गये। बताया कि उनकी माताजी जो पहले बेसुध थीं अब बिस्तर में बैठ अपने हाथ से खाना खा रही हैं। फिर उसके अगले सप्ताह बताया कि छड़ी के सहारे चल रही हैं। वह अब भी ठीक हैं तथा इस बीच आंख का आप्रेशन भी करवाया। 
इसे डाक्टर की त्रुटि नहीं माना जा सकता, उन्होंने अपनी पद्वति के अनुसार पूरा ज़ोर लगाया। इसी प्रकार गुलाब टाइम्स समाचार पत्र के 80 वर्षीय प्रकाशक सत्यपाल मदान जो चल नहीं पाते थे, कुछ सप्ताह में उठ कर चलने लायक हो गये।
सरकारी रूख़ः जून 2019 में पटना के सरकारी हस्पताल में चमकी बुख़ार (encephalitis) से मरने वालों की संख्या समाचारों के अनुसार तीन दिन में 82 तक पहुंच गई। लेखक से रहा नहीं गया तो उसने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार को ई-मेल भेजा और हाईड्रोजन परोक्साईड से इलाज का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने लेखक का मूल पत्रा बिहार के स्वास्थ्य विभाग को अग्रसरित किया और उसकी प्रतिलिपि लेखक को भेजी। तब तक मृतकों की संख्या 140 के करीब हो गई थी, परन्तु उसके बाद एक-दो दिन में इस बीमारी से मरने वालों के आंकड़े आने बन्द हो गये। 
30 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस-19 के बारे में एम्स ऋषिकेश प्रबन्धन द्वारा इन्तज़ाम के बारे में एक विज्ञप्ति लेखक को ई-मेल से मिली तो लेखक ने निदेशक तथा अन्य चिकित्सकों को इसके लिए बधाई देते हुए हाईड्रोजन परोक्साईड से इलाज का सुझाव दिया। तरीका भी बताया।
14 मार्च 2020 को लेखक ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ई-मेल भेजा और सुझाव दिया कि हाईड्रोजन परोक्साईड से कोरोना वायरस की रोकथाम व इलाज के बारे में सोचें। साथ में बिहार के सीएम व एम्स डायरेक्टर को भेजे पत्रों की प्रतिलिपियां भेजीं। परन्तु लगता नहीं इस सुझाव के बारे में ध्यान दिया गया हो। 
इलाजः याद रखें इलाज से बेहतर बीमार से बचाव है। उसके उपायों पर ध्यान दें। सरकार के आदेशों का पालन करें। घर से बाहर बिल्कुल न निकलें। मास्क पहनें। हो सके तो दोनो कानों को भी कपड़े से ढक कर रखें। हाथों को सैनिटाइज़ करें। एक दूसरे से दो मीटर की दूरी बनाए रखें। 
लिक्विड आक्सीजन से इलाज पहला लक्षण सामने आते ही शुरु किया जा सकता है। मिनटों अथवा घण्टों में असर नज़र आते देखा गया है। 
लिक्विड आक्सीजन के लिए कहा गया है कि यह वायरस के सम्पर्क में आते ही उस की त्वचा से अलेक्ट्रोन (electron) खींच कर उसे निष्क्रिय कर देता है। जिन व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता उच्च स्तर की होती है वे प्राकृतिक स्तर पर इसी तरह बीमारी से लड़ते हैं। 
- लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं लिक्विड़ आक्सीजन थेरेपी के विशेषज्ञ भी है।


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