शुक्रवार, 15 मई 2020

धरती के भीतर हलचल से खिसक रही जमीन

धरती के भीतर हलचल से खिसक रही जमीन



वैज्ञानिकों के अनुसार यह कच्छ जैसी तबाही के संकेत
एजेंसी 
नई दिल्ली। धरती अपनी धुरी पर घूमती रहे तो सब ठीक रहता है लेकिन इसके अंदर मौजूद प्लेट्स में हुई थोड़ी-सी हलचल भयंकर विनाश का कारण बन सकती है। साल 2001 गुजरात के कच्छ में आए भूंकप ने खूब तबाही मचाही थी। लेकिन यही महाप्रलय दोबारा कहर बरपा सकती है। इस बात का खुलासा एक स्टडी के दौरान हुआ है। वैज्ञानिकों ने जमीन के खिसकने की बात कही है।
भौगोलिक परिवर्तन पर यूनिवर्सिटी आपफ इलिनाय के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की है। इसकी रिपोर्ट अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स में प्रकाशित की गई है। इस स्टडी के मुताबिक धरती के अंदर केंद्र में मौजूद हिस्सा घूमता हुआ पाया गया है। जिसकी वजह से धरती के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव हो रहा है। यही वजह है कि चुंबकीय उत्तरी ध्रूव कनाडा से खिसक कर साइबेरिया पहुंच गया है। प्रोफेसर जियाओडोंग ने कहा कि उन्होंने दुनिया भर के अलग-अलग स्थानों पर भूकंप के आने की दरों का अध्ययन किया। जिसमें पता चला कि भूकंप के आने की दर धरती के अंदर घूम रहे कोर की वजह से कम ज्यादा हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि कोर के घूमने की वजह से धरती की ऊपरी सतह और प्लेटें आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं। इससे धरती के ऊपर बने पहाड़ों की ऊंचाई पर भी असर पड़ रहा है।
माना जा रहा है कि इन प्लेट्स के लगातार खिसकने से पहाड़ों की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। इस बारे में प्रो0 सान्ग ने बताया कि भूकंप की वजह से पैदा हुई भूकंपीय तरंगे धरती के केंद्र तक जाती हैं। अगर केंद्र रुका रहता तो ये अंदर तक जा ही नहीं पाती। मगर इसके लगातार घूमने से खतरा बढ़ गया है। इससे भविष्य में बड़े भूंकप आ सकते हैं। भौगोलिक स्थिति में हो रहे बदलाव खतरे की ओर इशारा करते हैं। पीकिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस स्टडी के सहलेखक जियाओडोंग सान्ग ने कहा कि वे साल 1996 से इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं। उस वक्त धरती के कोर में एक छोटा भूकंपीय परिवर्तन देखने को मिला था, जो अब लगतार बढ़ता जा रहा है।


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