शुक्रवार, 15 मई 2020

सरकार गरीब, किसान, व्यापारियों का कर्ज बट्टे खाते में डालेः मोर्चा  

आर्थिक पैकेज की बजाय सरकार गरीब, किसान, व्यापारियों का कर्ज बट्टे खाते में डालेः मोर्चा    


  
- करोड़पतियों-अरबपतियों के कर्ज बट्टे खाते में डाले जा सकते हैं तो वास्तविक गरीबों की क्यों नहीं!         
- गरीब, किसान, व्यापारी, मजदूर को सताता है तहसील/बैंक का डर           
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि देश के किसानों, मध्यमवर्गीय व्यापारियों, छोटे उद्यमियों एवं गरीब मजदूरों का भला आर्थिक पैकेज जैसे झुनझुनों से होने वाला नहीं है। अगर सरकार वास्तव में गरीबों के हक में कुछ सहानुभूति रखती है तो सरकार को उनका कर्ज राइट आफ/बट्टे खाते में डालना चाहिए, जैसे कि सरकार ने दर्जनों अरबपति/खरबपति का कर्ज डाला है।          
नेगी ने कहा कि कोरोना महामारी कोई क्षणिक नहीं है तथा इसके परिणाम कई वर्षों तक भुगतने होंगे। ऐसे में इन वास्तविक गरीबों ;पात्रोंद्ध के कर्ज माफ कर सरकार इनका आर्थिक व मानसिक शोषण समाप्त कर इनके कामों/व्यवसायों में तेजी ला सकती है।   
नेगी ने कहा कि सरकार ने छोटे तबके के व्यापारियों, किसानों व अन्य को भी रियायती दर/बिना ब्याज के बैंकों से कर्ज दिलाने की बात की है, लेकिन व्यापारी/किसान/गरीब-मजदूर तो पहले ही कर्जदार है। ऐसी परिस्थितियों में क्या गरीब जी पाएगा! क्या उसका रोजगार चल पाएगा! बड़ा गंभीर प्रश्न है।                      
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि गरीबों को वर्तमान समय में आर्थिक पैकेज की नही बल्कि बैंक का कर्ज राइट आपफ/बट्टे खाते यानी मापफ करने की दिशा में काम करना चाहिए।


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