शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

पौधरोपण से पर्यावरण को खतरा!

पौधरोपण से पर्यावरण को खतरा!



एजेंसी
नई दिल्ली। अब तक कहा जाता रहा है कि अंधाधुंध पेड़ कटने की वजह से पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण करना जरूरी है। लेकिन एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि एक जैसा पौधा अधिक मात्रा में लगाने से पर्यावरण बर्बाद हो रहा है क्योंकि एक जैसे पौधों से ज्यादा कार्बन रिलीज हो रही है। साथ ही एक जैसा पौधा लगाने की वजह से बाकी पेड़ों की प्रजातियां खत्म हो रही हैं।
साइंस मैगजीन नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित एक रिसर्च में कहा गया है कि प्राकृतिक जंगलों की तुलना में पौधरोपण अभियान में लगाए गए पौधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये जैव-विविधता को खत्म कर रहे हैं। स्टड़ी के मुताबिक जब जंगल उगते हैं तो वो कार्बन डाईआक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों को कम करते हैं। क्लाइमेट चेंज के साथ अधिक मात्रा में निकल रहे कार्बन सिंक रोकते हैं लेकिन पौधरोपण के मामले में उलटा हो रहा है। इंडियास्पेंड में छपी खबर के मुताबिक वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ने दुनिया में जहां भी जंगल कम हुए हैं वहां पर 1 लाख करोड़ पौधे लगाने की योजना तैयार की है। इसके तहत 2030 तक दुनिया भर के 350 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर पौधरोपण करना है।
लेकिन जंगलों को बचाने के बजाय इस तरीके के पौधरोपण से पर्यावरण को और खतरा है। ये पौधरोपण के अभियान मोनोकल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं। मोनोकल्चर का मतलब एक ही तरह के पौधे लगाने की परंपरा। इससे ग्रीनहाउस गैस कम करने के बजाय बढ़ रहा है साथ ही जैव-विविधता खत्म हो रही है।
स्टडी के मुताबिक इस तरह के पौधरोपण से पफायदे की जगह नुकसान हो रहा है। और ये नुकसान भारत के लिए सबसे खतरनाक है। स्टडी में बताया गया है कि भारत में अक्सर पौधरोपण अभियान चलता है। लाखों-करोड़ों पौधे मोनोकल्चर के तहत लगाए जाते हैं, इससे लोगों द्वारा जमा किया टैक्स का पैसा बर्बाद हो रहा है।
बता दें भारत सरकार की नीतियों के मुताबिक विभिन्न राज्य सरकारें उद्योंगों से पैसे लेकर पौधरोपण कराती हैं और इसमें एक ही किस्म के पौधे लगाए जाते हैं।


 


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