कोरोनाः टोटकों से नहीं ऐतिहात बरत होगा बचाव
लोगों को कोविड़-19 से डर तो है लेकिन परवाह कोई नहीं कर रहा
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। अब तो लोगों के सब्र का बांध टूट सा गया है। लाकडाउन और उसके बाद अनलाक की प्रक्रिया असहनीय होती जा रही है। ऐसा महसूस होता है जैसे सब कुछ चौपट हो गया है। पढ़ाई-लिखाई से लेकर व्यवहारिक जीवन का पूरा का पूरा ढर्रा पटरी से उतर गया है। ऐसे में जिसके पास संसाधन है, वो दुखी है और जिसके पास नहीं है, वो भी दुखी है। काम-ध्ंाधे चौपट हो गए है। भविष्य का ठिकाना नजर नहीं आता। लेकिन कोविड़-19 यानि चीनी वायरस लोगों के जेहन से उतरता जा रहा है।
यकीन मानिए कि लोगों में कोरोना वायरस (कोविड़-19) से डर तो है लेकिन इससे बचाव की कोई परवाह नहीं कर रहा है। जबकि एक बार फिर यह वायरस पिफर से जोर पकड़ने लगा है। अब न संक्रमण की रफ्रतार थमी है और न इससे होने वाली मौतें कम हुई है। ऐसे में विशेष सावधानी बरती जानी चाहिये लेकिन लोगों ने स्वयं को जैसे राम भरोसे छोड़ दिया है। संभवतया भेड़िया आया, भेड़िया आया सरीखी चेतावनियों ने उन्हें पका दिया है। और वह स्टेज आ गई कि हाथ खड़े हो गए है।
यदि ऐसा है तो यकीनन यह खतरनाक घड़ी है। यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा आत्मघाती कदम है। दूसरों की बात परे छोड़िए, खुद से पूछ कर देखिये कि क्या आप वाकयी कोविड़-19 को लेकर गंभीर है। क्या आप प्रोपर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते है? मास्क लगाते है और अपने हाथों को सैनेटाइज करते है? जी हां, बहुत कम लोग इन बातों को लेकर संवेदनशील है। इस तरह अधिकांश लोग लापरवाही के चलते अपने साथ-साथ और के लिए भी मुसीबत का सबब बनते जा रहें है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
बहुत से लोग तो चीनी वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए टोटकों का सहारा ले रहें है। कोई लाकेट पहने इतरा रहा है कि उसे वायरस के संक्रमण से निजात मिल जायेगी। कोई इम्यूनिटी बढ़ाने के खातिर तरह तरह की जड़ी-बूटी अथवा दवाओं का मर्जी से प्रयोग कर रहा है। उसे ऐसा करते हुए इसके दुष्प्रभाव का भी डर नहीं रहा है। लेकिन ऐसे लोगों को यह कतई नहीं भुलना चाहिये कि मर्ज का इलाज फिलहाल संभव नही इसलिए बचाव के उपायों को अपनाने में ही समझदारी है। क्योंकि इसका इलाज टोटकों से नहीं होने वाला। नियमों का पालन और सुरक्षात्मक उपायों को अपनाकर ही इससे दूर रहा जा सकता है।
कोविड़-19 से बचाव कोई मुश्किल बात नहीं है। बशर्ते कि लोग सरकार एवं उसकी विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी दिशा निर्देशों का ईमानदारी से पालन करें और अपना ख्याल रखें। हालांकि सड़कों या बाजारों में कोविड़-19 को लेकर लोगों में लापरवाही साफ झलकती है। अफसोस की बात है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद हम अपनी गलती को स्वीकार नहींे कर रहे बल्कि कोसने के लिए सरकार और सरकारी अमला है ना। ठीकरा फोड़ने के वास्ते सरकारी निजी अस्पताल मौजूद है।
अपने चारों ओर नजर दौड़ा कर देखिए कि जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ दूसरों की है। हमारी तो कोई जिम्मेदारी ही नहीं है। कोई जहर खा ले, फंदे पर झूल जाये या फिर सड़क पर गाड़ी ठोक दे, गाड़ी के नीचे आ जाये। इस सारे प्रकरण में हम सरकार और सिस्टम को घुसेड़ देते है। इसी तरह अब चीनी वायरस के लिए भी लोग बाग सरकार और सरकारी अमले को दोषी बताने से बाज नहीं आ रहा। जबकि इसके लिए कहीं न कहीं हम व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार या कसूरवार है।
यहां अपवादों की गणना नहीं की गई है इसलिए बिना ट्रेवल हिस्ट्री के चुनिन्दा संक्रमितों को यहां काउन्ट न कीजिएगा। कायदों की अनदेखी करना और तमाम ऐतिहातों को धता बताकर लाकडाउन या अनलाक की एसओपी का मखौल उडाने के संक्रमित होना और तब सरकार को कोसना कहां की समझदारी है? कुछ नमूने ऐसे भी है जो मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग तो करेंगे नहीं। सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ायेंगे। लेकिन टोटकों का पूरा इंतजाम करेंगे कि चीनी वायरस न हो। ऐसे नमूने पाजीटिव नही होंगे तो और कौन हो सकता है!