बुधवार, 16 सितंबर 2020

संसद से लेकर गांवों तक सड़कों पर उतरे लाखों किसान

संसद से लेकर गांवों तक सड़कों पर उतरे किसान



संवाददाता
लालकुआं।
संसद सत्र के पहले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के आह्वान पर देश भर में किसानों ने आंदोलन किया। दिल्ली के जंतर मंतर से देश भर के गांवों तक लाखों किसानों ने मोदी सरकार द्वारा देश की खेती किसानी को कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का गुलाम बनाने की नीतियों का विरोध किया। किसान मोदी सरकार के तीन अध्यादेशों को वापस लेने, बिजली सुधार कानून वापस लेने, पैट्रोल डीजल की कीमतों को कम करने और एक देश एक एमएसपी की मांग कर रहे थे। एआईकेएससीसी से जुड़े 250 किसान संगठनों के अलावा भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने भी इन तीनों अध्यादेशों की वापसी की मांग पर विरोध स्वरूप धरना-प्रदर्शन आयोजित किए।
इस आंदोलन में किसानों की गोलबंदी देश भर में देखी गई। सबसे ज्यादा 15 हजार किसान बरनाला (पंजाब) में जुटे जहां अखिल भारतीय किसान महासभा से जुड़ी पंजाब किसान यूनियन और भारतीय किसान यूनियन ढकोंदा ने मुख्य रूप से जन गोलबंदी की थी। 


किसानों ने देश भर से देश के महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किए जिसमें लिखा है- हम भारत के किसान, अपने संगठन ’अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, एआईकेएससीसी’, जिसके 250 से अधिक किसान तथा कृषि मजदूर संगठन घटक हैं, आपको यह पत्र लिखकर यह उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार ने कोरोना लाकडाउन के दौरान जो तेज हमला देश भर के किसानों पर किया है, उसका विरोध करने में और किसानों को बचाने में हमारा साथ देने की कृपा करेंगे। कई सालों से हम इन समस्याओं को उठाते रहे हैं और उम्मीद करते रहे हैं कि सरकार इन्हें हल करेगी और अगर नहीं हल करेगी तो कम से कम विपक्षी दल इन सवालों पर किसानों का साथ देंगे।
उन्होंने लिखा है कि जब केंद्र सरकार ने अपने कृषि सुधार पैकेज की घोषणा की, तो उसमें ना केवल हमारी समस्याओं को सम्बोधित नहीं किया गया, बल्कि उन्हें बढ़ा दिया गया है। सरकार ने एक ओर तीन नये अध्यादेश पारित किये हैं जो ग्रामांचल में तमाम किसानी की व्यवस्था को, खाद्यान्न की खरीद, परिवहन, भण्डारण, प्रसंस्करण, बिक्री को, यानी तमाम खाने की श्रंखला को ही बड़ी कम्पनियों के हवाले कर देगी। किसानों के साथ छोटे दुकानदारों तथा छोटे व्यवससियों को बरबाद कर देगी।
यह तीन किसान विरोधी अध्यादेश दिनांक 05.06.2020 को जारी किये गए थे और अब इन्हें संसद में पारित कराकर कानून की सूरत देने की योजना है। इन तीनों अध्यादेशों, (क) कृषि उपज, वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020; (ख) मूल्य आश्वासन पर (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020; (ग) आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को वापस लिया जाना चाहिए और इन्हें कानून नहीं बनना देना चाहिये। 
उनका कहना है कि ये अध्यादेश अलोकतांत्रिक हैं और कोविड-19 तथा राष्ट्रीय लाकडाउन के आवरण में अमल किये गए हैं। ये किसान विरोधी हैं, इनसे फसल के दाम घट जाएंगे और बीज सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। ये अध्यादेश पूरी तरह भारत में खाने तथा खेती व्यवस्था में कॉरपोरेट नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं और उनके जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे तथा किसानों का शोषण बढ़ाएंगे। 
दूसरा बड़ा खतरनाक कदम है बिजली बिल 2020. इस नए कानून में गरीबों, किसानों तथा छोटे लोगों के लिए अब तक दी जा रही बिजली की तमाम सब्सिडी समाप्त हो जाएगी, क्योंकि सरकार का कहना है कि उसे अब बड़ी व विदेशी कम्पनियों को निवेश करने के लिए प्रोहत्साहन देना है और एक कदम उसमें उन्हे सस्ती बिजली देना भी है। इसलिए अब सभी लोगों को एक ही दर पर, बिना स्लेब के लगभग 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी। 
किसानों ने लिखा कि इस परिस्थिति में हम आपको यह पत्र लिख रहे हैं इस उम्मीद के साथ कि आप इन तीनों अध्यादेशों का, बिजली बिल 2020 और डीजल के दाम में टैक्स घटाकर उसका दाम आधा कराएंगे।


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