निकाय कर्मियों के भविष्य से खिलवाड़ बंद करें शासनः मोर्चा
- अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन प्रेषित करने का है मामला
- वर्षों से संविदागत व बोर्ड द्वारा रखे गए कर्मचारियों का भविष्य अधर में
- स्वीकृत पदों के सापेक्ष कार्मिकों की संख्या व पदों का कोई अता-पता नहीं विभाग को
- कार्मिक नियमित अथवा संविदागत हैं, यह भी मालूम नहीं
- शासन ने गेंद निदेशालय की पाले में तथा निदेशालय ने निकायों के पाले में डाली
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि कुछ माह पहले शहरी विकास विभाग उत्तराखंड शासन द्वारा रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने हेतु अधियाचन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को प्रेषित किए जाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि शासन व शहरी विकास निदेशालय के पास कार्मिकों की संख्या, स्वीकृत पदों के सापेक्ष कार्यरत नियमित अथवा संविदागत कर्मचारियों का विवरण व उनकी संख्या का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है।
उनका कहना था कि जब विभाग के पास कोई डाटा ही नहीं है तो अधियाचन किस मामले में भेजा गया है तथा कितने कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने हेतु भेजा गया। नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कई-कई वर्षों से मामूली वेतन पर निकायों में सेवा दे रहे संविदागत तथा बोर्ड द्वारा रखे गए कर्मियों की सुध सरकार को नहीं है।
नेगी ने कहा कि भारत के संविधान के 74वंे संशोधन में पालिकाओं को असीमित अधिकार देने की बात कही गई है यानी एक तरह से पालिकाओं को स्थानीय सरकार भी कहा जाता था। उक्त मामले में शासन ने पल्ला झाड़ कर मामला निदेशालय की ओर तथा निदेशालय ने निकायों की ओर सरका कर इतिश्री कर ली। उन्होंने कहा कि मोर्चा जल्द ही कर्मचारियों की मांगों एवं उनकी समस्याओं को लेकर शासन में दस्तक देगा।