शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

राजभवन बना ऐशगाह, नही होती जनता की सुनवाईः मोर्चा   

राजभवन बना ऐशगाह, नही होती जनता की सुनवाईः मोर्चा  



- चार-पांच महीनों तक नहीं ली जाती शिकायती पत्रों की सुध              
- यूजेवीएनएल में हुई फर्जी नियुक्तियों एवं सचिव दमयंती रावत की प्रतिनियुक्ति का था मामला                
- जब जनता की सुनवाई ही नही होनी है, तो करोड़ों रुपए खर्च क्यों किया जा रहा है!     
जब राजभवन से मामले में कार्रवाई पूछी जाती है, तब होती है पत्रावली गतिमान 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि राजभवन उत्तराखंड सिर्फ और सिर्फ ऐशगाह बनकर रह गया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनता द्वारा भेजे गए शिकायती पत्रों (डाक-ईमेल) पर 4-5 महीने तक कोई कार्यवाही नहीं होती। अधिकांश मामलों में जब राजभवन से मामले में हुई प्रगति के बारे में जानकारी ली जाती है तब जाकर कहीं पत्रावली गतिमान होती है।                        
नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा माह मई एवं जून में दो शिकायती पत्र राजभवन को प्रेषित प्रेषित किए गए थे, जिसमें यूजेवीएनएल में हुई फर्जी नियुक्तियों की सीबीआई जांच कराए जाने एवं भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर श्रीमती दमयंती रावत की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने हेतु पत्र प्रेषित किए गए थे, लेकिन राजभवन द्वारा इन पत्रों को चार-पांच महीने तक दबाए रखा।         
मोर्चा द्वारा जब इस मामले में हुई कार्रवाई/प्रगति के बारे में पूछा गया, तब जाकर  माह सितंबर में पत्रावली गतिमान हुई, यानी आज तक भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। नेगी ने कहा कि राजभवन जैसे जिम्मेदार संस्थान का यह हाल है तो प्रदेश के हालात कैसे होंगे!


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