सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

वर्क फ्राम होम से शरीर दर्द के बढ़ रहे मामले

घर से काम शुरू करने के बाद गर्दन, कमर दर्द के मामले बढ़े
वर्क फ्राम होम से शरीर दर्द के बढ़ रहे मामले


प0नि0डेस्क
देहरादून। कोरोना वायरस से पहले काम का तरीका अलग था। लेकिन अब समय बदल गया है। लोग घर से ही काम कर रहे हैं। टेबल, कुर्सी की जगह अब सोफे और बिस्तर ने ले ली है। इसी आराम के कारण लोग चोटों का शिकार हो रहे हैं। कई अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि स्टे एट होम आर्डर के बाद गर्दन, कमर दर्द या दूसरे शारीरिक दर्द के मरीज बढ़े हैं।
लोगों को लगा कि उन्हें कुछ ही हफ्रतों के लिए घर से काम करना होगा। ऐसे में सोफे पर काम करना मुश्किल नहीं है। शुरुआत में सहज महसूस हुआ, लेकिन यह दर्द बढ़ गया। यह आमतौर पर एक ओवरयूज इंजरी है जो बार-बार लगी चोट के कारण बढ़ी है। शरीर में दर्द के सबसे बड़े कारण लैपटाप हैं। इसमें स्क्रीन देखने के लिए नीचे देखना पड़ता है या टाइप करने के लिए हाथ उठाना होता है। दोनों तरीके गलत हैं। इस तरह की पोजिशन डिस्क और स्पाइन के जोड़ पर दबाव डालती है। इसके साथ ही गर्दन की नसें असंतुलित हो जाती हैं।
लोग किचन के स्टूल या सोपफा को डेस्क की कुर्सी बना लेते हैं। कई बार वे गलत ऊंचाई की होती हैं। कई लोगों ने केवल काम करने की जगह ही नहीं बदली है, बल्कि काम का तरीका भी बदल लिया है। अब मीटिंग के लिए हाल में चलकर नहीं जाते। अब केवल एक जगह बैठे रहते हैं। शरीर को चलने की जरूरत होती है। महामारी के कारण कम हुई मूवमेंट इन दर्द और चोटों का कारण है। अगर एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठे हैं तो शरीर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देगा।
फोन पर स्क्रीन टाइम बढ़ने से ज्यादा सक्रिय नहीं हो रहे हैं। सेलफोन इसका बड़ा कारण हैं। फोन को देखने के लिए हम गर्दन को झुका लेते हैं। जबकि फोन को आंखों के बराबर रखकर चलाना चाहिये। कालेज छात्र, टीनएजर्स और छोटे बच्चों को जोखिम ज्यादा है। टीनएजर्स के फोन की स्क्रीन पर होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में उनसे जिम, स्पोर्ट्स सब कुछ छीन गया है, जो सक्रिय रहने के लिहाज से बेहतर होते हैं। 
इससे बचने के उपाय बेहद आसान हैं। लैपटाप यूजर्स नया एक्सटर्नल यानी अलग से कीबोर्ड और माउस खरीद सकते हैं। लैपटाप को आंखों के स्तर तक थोड़ी ऊंचाई पर रखें। अगर कुर्सी ज्यादा ऊंची है और पैर जमीन पर आराम नहीं कर पा रहे हैं तो एक छोटे स्टूल का इस्तेमाल करें। इसके अलावा ब्रेक परेशानी को हल कर सकता है। ज्यादा ब्रेक लें और शरीर को सक्रिय रखें। हर 15 से 30 मिनट में एक टाइमर लगा लें। यह शरीर को चलाने की याद दिलाएगा। इसके अलावा वे तीन तरह के ब्रेक ले सकते हैं। पहला लगातार 5 सेकंड के छोटे ब्रेक्स जिसमें अपना पाश्चर दूसरी दिशा में बदलेंगे। दूसरा यह 3 से 5 मिनट के ब्रेक होते हैं, जिसमें गहरी सांस लेंगे और कंधों को स्ट्रेच करेंगे।
तीसरा कम से कम 30 मिनट तक चलने वाले इस ब्रेक में एक्सरसाइज करें। हो सके तो एक बार बाइक चला लें। आपको केवल रिलेक्स रहना है। तनाव चोट लगने के जोखिम को बढ़ा देता है। हमें ऐसा काम करना चाहिए, जिससे हम रिलेक्स रह सकें। यह आसान है, उठो और एक बार टहल कर आओ।


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