गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

चिटगल के क्वट को आज भी है अपनों का इंतजार

 चिटगल के क्वट को आज भी है अपनों का इंतजार

पवन नारायण रावत

गंगोलीहाट। उठो, आगे बढ़ो। 


सुनहरे भविष्य के लिए तैयार रहो। जोश से लबालब आवाज में जब हवा में हाथ लहराकर नवनीत ने भाषण दिया तो चारों तरपफ सन्नाटा छा गया। वाकई दादा दादी सहित सब सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गए। पहली कक्षा का नन्हा नवनीत यानी नन्नू अपने गांव चिटगल में है और अपने भाई बहनों के साथ खूब मस्ती में सराबोर है। दीदी गरिमा के कहने पर उसने धारा प्रवाह भाषण भी दिया और गांव चिटगल से जुड़ी खबरें भी सुनाईं। नवनीत के साथ ही उसके भाई-बहन भी पिछले कुछ महीनों से चिटगल में हैं और बेहद खुश हैं। इन सबके साथ ही खुश है चिटगल गांव, जो अपने तमाम रहवासियों के आगमन से गुलजार है। वहीं तमाम परवासियों के आगमन एवं नयी पीढ़ी के बच्चों के एकसाथ जमावड़े से उसकी आबोहवा में पुरानी रंगत फिर से लौट आयी है।

नन्नू भाषण देते हुए


पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय से मात्र दस किमी की दूरी पर प्रकृति की गोद में बसा और मुख्य सड़क से सटा है चिटगल गांव। बच्चों के पूरे दल के लिए बिना रोक टोक खेलने के लिए भरा पूरा खुला स्थान होना किसी मनचाहे इनाम से कम नहीं। नन्नू के साथ ही उसके भाई-बहन उसके साथ खेल-कूद के इस महाकुंभ में शामिल हैं साथ ही शामिल हैं गांव के अन्य बच्चे और आखिर क्यों ना हों! सब बच्चों के पास एक खूबसूरत गांव। दूर दूर तक पफैले खेत-खलियान शानदार जैव विविधता से आकर्षित करता चीड, देवदार और बांज के वृक्षों से भरा हवादार खुशनुमा जंगल और गांव के मस्तिष्क के रूप में  हमेशा से तैनात एक खूबसूरत क्वट जो मौजूद है।


सीढ़ीनुमा खेतों से सटे मिट्टी का टीला- क्वट

क्वट, चिटगल के सामने की ओर फैले हुए खूबसूरत सीढ़ीनुमा खेतों की सुंदरता से सटे हुए मिट्टी का ऊंचा टीला, जिसे स्थानीय ग्रामीण क्वट कहते हैं। क्वट जहां चिटगल की खूबसूरती का प्रतीक है। वहीं इसकी आड़ में बच्चों की टोली अपने-अपने खेल को आगे बढ़ाती है। इसकी ओट से उगते सूरज के दृश्य की छवि आज भी तमाम परवासियों के मन में अपनी गहरी छाप के साथ मौजूद है। स्थानीय निवासी विनोद पन्त बताते हैं कि जब भी यहां से दूर रहता हूं तो गांव के ठीक सामने के शानदार खेत एवं क्वट हमेशा आंखों के सामने तैरता नजर आता है। उनके अनुसार सुबह सुबह क्वट के ठीक ऊपर और गांव के ठीक सामने से चिट धूप गांव में आने के कारण ही सम्भवतः गांव का नाम चिटगल पड़ा होगा। पिथौरागढ़ निवासी एवं चिटगल इंटर कालेज से सेवानिवृत्त प्राध्यापक जोशी जी जब भी अपने चिटगल में बीते दिनों को याद करते हैं तो क्वट आज भी उनके मानस पटल पर सबसे पहले उभर आता है।


चिटगल आदर्श प्राथमिक विद्यालय

बच्चों की उछलकूद और धमा चौकड़ी से मिलकर गांव भी प्रपफुल्लित है और सभी बड़े बुजुर्ग भी। पिथौरागढ़, धारचूला, डीडीहाट, बागेश्वर एवं गंगोलीहाट में सेवायें दे चुके एवं विधुत विभाग से सेवानिवृत्त चिटगल खस्यूड निवासी नन्दकिशोर पंत पुरानी यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि पहले गांव में सौ से अधिक परिवार थे। पैदल ही लोग गंगोलीहाट एवं पिथौरागढ़ जाया करते थे। तब गांव में खूब चहल पहल हुआ करती थी। आज छप्पन से अधिक परिवार सिर्फ हल्द्वानी में बस गये हैं। अनेक परिवार अन्य शहरों मे। हमें तो चिटगल की खुली साफ सुथरी हवा ही पसंद आती है और कहीं मन ही नहीं लगता, अपनी आवाज़ में एक विराम लेकर पन्त जी बताते हैं। दादाजी का हाथ थामे भूमि भी अपनी मुस्कान से इसमें सहमति व्यक्त करती है। दसवीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहीं जया मार्च से यहीं रहकर पढ़ाई कर रही हैं। जया कहती हैं कि यहां शांत वातावरण में पढ़ाई करने में मन भी अच्छा लगता है....वहीं आर्ट से स्नातक की तैयारी कर रही गरिमा को भी तमाम बच्चों के शोरगुल से चहल पहल वाला चिटगल आजकल खूब भा रहा है।


पंत परिवार के साथ लेखक पवन नारायण रावत


चिटगल के परवासियों की यादों में भी अपना खूबसूरत गांव हमेशा ही हरा भरा रहता है। गांव मुझे रोज ही याद आता है, इसकी नैसर्गिक सुंदरता एवं मनोरम छवि सदैव ही मन को आकर्षित करती है। मानो यादों में भी कुछ कहना चाह रही हों। अपनी मधुर स्मृतियों के बन्द दरवाजे को खोलते हुए अमेरिका से लौटे मनोज पंत (मोनू) बताते हैं कि उन्हें हमेशा ही सात समंदर पार भी चिटगल और उसका क्वट याद आता है। अमेरिका के कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी सहित तमाम व्यस्ततम शहरों की विकसित जीवनशैली का हिस्सा रह चुके मोनू बताते हैं कि वर्तमान सूचना प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका जैसे विकसित देशों और हमारे देश के बीच विकास की खाई को काफी हद तक पाट दिया है। उनके अनुसार आज भारत में भी उन्नत तकनीकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के कारण अनेक कार्य विदेशों की भांति चिटगल एवं समस्त गांवों में भी सम्भव हैं। लाक डाउन ने विकसित देशों के वर्क टू होम कल्चर को भारत में नयी सम्भावनायें दी हैं जो भारत की सूचना तकनीकी के क्षेत्र में बढ़ती प्रगति के कारण ही सम्भव हुआ है।

चिटगल के बच्चों को प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही बेहतरीन, सुंदर सुसज्जित और एक आदर्श प्राथमिक विद्यालय भी उपहार स्वरूप प्राप्त है। यह देश के स्वर्णिम भविष्य के कर्णधारों की शिक्षा के प्रति प्राथमिक विद्यालय परिवार के गुरुजनों द्वारा अपने अति विशिष्ट प्रयासों द्वारा खींची गयी वह लकीर है जो यहां के नौनिहालों के मन मष्तिष्क एवं चित्त पटल पर जीवन पर्यंत अंकित रहेगी। शिक्षा की वास्तविक लौ जलाकर अनुकरणीय एवं सराहनीय पहल करने वाले चिटगल प्राथमिक विद्यालय के समस्त अनुकरणीय शिक्षकों को समस्त चिटगलवासी हार्दिक साधुवाद प्रेषित करते हैं। 

चिटगल की सुंदरता यहीं तक सीमित नहीं। यहां की खूबसूरत बाखलियां, सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन। अपनी विशिष्ट भवन निर्माण शैली के जीवन्त गवाह भवन। आज भी अपनी भव्यता के साथ गर्व से मौजूद हैं। सैम देवता का मन्दिर चिटगल के मुख्य ईष्टदेव का मन्दिर है। जहां के प्रांगण में आप सहज ही शांति का अनुभव कर सकते हैं साथ ही गुसाईं देवी मन्दिर में ईष्टदेवी माता रानी विराजमान हैं। 

चिटगल में सड़क, बिजली, पानी की सुविधा पहले से है और बेहतर दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध होने से रोजमर्रा की दिनचर्या अब अधिक सुविधाजनक हो चली है। जया, गरिमा एवं पवन जैसे छात्रों के लिए आनलाइन पढ़ाई करने की सुविधा घर बैठे शुरू हो गयी है। युवाओं के लिए वर्क टू होम के तहत नई सम्भावनाएं उत्पन्न हुई हैं। वहीं बुजुर्गों के लिए सुदूर स्थित पारिवारिक सदस्यों से सम्पर्क साधने का बेहतर साधन उपलब्ध होना देश के अन्य गांवों की तरह ही चिटगल में उपलब्धि के समान है। चिटगल में आज की आवश्यकता के अनुसार सभी व्यावहारिक सुविधाएं मौजूद हैं। बस कमी है तो सिर्फ अपनों की। इस पर भी स्थानीय वरिष्ठ नागरिक नन्द किशोर पंत को उम्मीद है कि गांव के प्रवासी कभी तो रिवर्स पलायन कर वापस लौटेंगे। उनके वापस लौटने से क्वट गांवभर के बच्चों, युवाओं की गतिविधियों एवं खेलकूद से हराभरा दिखायी देगा। जैसे नन्नू, भूमि, पवन, जया और गरिमा के आने से आजकल उनके परिवार में एक नए क्वट की तरह। 

आखिर क्वट को भी तो अपनों का इंतजार ठैरा!


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