शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

करदाता की मृत्यु पर उसका रिटर्न वारिस की जिम्मेदारी

 करदाता की मृत्यु पर उसका रिटर्न वारिस की जिम्मेदारी

आईटीआर फाइल करना अनिवार्य, यदि आमदनी टैक्सेबल लिमिट में आती है



प0नि0डेस्क

देहरादून। कई बार किसी करदाता की मृत्यु होने के बाद उसका आयकर रिटर्न जमा नहीं किया जाता लेकिन ऐसा करना गलत है। नियम के अनुसार हर उस व्यक्ति के लिए आयकर रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है, जिसकी आमदनी संबंधित वित्त वर्ष में टैक्सेबल लिमिट में आती हो, चाहे उसकी मृत्यु भी क्यों न हो गई हो। 

व्यक्ति की मौत के बाद यह काम वारिस को करना होगा। मृत करदाता के लिए आईटीआर फाइल करने के बाद आयकर विभाग स्थायी रूप से उस मृत करदाता का अकाउंट बंद कर देता है। दरअसल मृतक का रिटर्न फाइल करने के लिए वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से आयकरदाता की मौत की तारीख तक की आय का आकलन किया जाता है। कानूनी वारिस या कानूनी प्रतिनिधि की ओर से परिवार के मृत सदस्य का आईटी रिटर्न फाइल किया जा सकता है।

आयकर कानून 1961 की धारा 159 के तहत अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी को कर का भुगतान करना होता है। इसलिए यदि आप कानूनी उत्तराधिकारी हैं तो सबसे पहले आयकर विभाग से संपर्क कर खुद को मृतक के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में पंजीकृत कराना होगा। तभी मृत करदाता की तरफ से आईटी रिटर्न फाइल करने की इजाजत मिलती है। अगर करदाता ने अपने मरने से पहले वसीयत तैयार नहीं कराई है, तो उत्तराधिकारी नियम के अनुसार जिस व्यक्ति का मृतक की संपत्ति पर हक होगा। उसके आयकर संबंधी दायित्वों का भी उसे ही पालन करना होगा।

नियम के अनुसार वित्त वर्ष की शुरुआत से मृत्यु होने तक अर्जित आय को मृतक की आय माना जाता है। मृतक से विरासत में मिली संपत्ति से अर्जित आय को कर योग्य माना जाता है। करदाता की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी पर रिटर्न पफाइल करने की जिम्मेदारी आ जाती है। उत्तराधिकारी को ही उसका रिटर्न दाखिल कर आयकर भरना होता है। इसके अलावा अगर मृत्यु से पहले कोई नोटिस जारी होता है तो उसकी जिम्मेदारी भी उत्तराधिकारी की ही होगी। उसकी कार्रवाई मृत्यु की तारीख से वारिस के खिलापफ जारी रह सकती है। 

रिटर्न फाइल करने के लिए बैंक स्टेटमेंट, निवेश के दस्तावेज और अन्य संबंधित दस्तावेजों की जरूरत होती है ताकि आयकर का आकलन किया जा सके। कानूनी वारिस के रूप में मृत व्यक्ति का रिटर्न फाइल करने के लिए सबसे पहले आईटी डिपार्टमेंट के पास पंजीकरण करना होगा। इस प्रक्रिया के लिए मृत्यु प्रमाण-पत्र, मृत व्यक्ति का पैन कार्ड, कानूनी वारिस का सेल्फ-अटेस्टेड पैन कार्ड और कानूनी वारिस प्रमाण-पत्र की कापी जरूरी होती है।

व्यक्ति की मौत हो जाने पर इसे रद्द करवाना जरूरी होता है। व्यक्ति का कानूनी वारिस या रिश्तेदार पैन रद्द करने के लिए आयकर विभाग में आवेदन दे सकता है। रिटर्न फाइल करने और बकाया टैक्स चुका देने के बाद एसेसमेंट अफसर को पैन रद्द करने के लिए लिखित आवेदन देना होगा। आयकर विभाग आवेदन की जांच करने के बाद पैन को रद्द कर देगा।

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