भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण समारोह
महान नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये पंडित पंत मार्ग पर नया स्थल विकसित किया गया
एजेंसी
नई दिल्ली। आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने पंडित पंत मार्ग में भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा के माल्यार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया। पुरी ने कहा कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की यात्रा और दर्शन को सम्मानित करने के लिए एक नया स्थल यथोचित रूप से विकसित किया गया है, जो भारतीयों को हमारे समाज और देश की प्रगति के लिए निस्वार्थ समर्पण के लिये प्रेरणा प्रदान करता है।
चर्च रोड, लोकसभा मार्ग, राज्यसभा मार्ग और पंडित पंत मार्ग के चौराहे पर रोटरी नंबर 48 में प्रतिमा को अपने नए स्थल पर स्थानांतरित कर दिया गया है और अब यह प्रतिमा प्रख्यात ऐतिहासिक स्थलों से घेर दी गई है। महान राष्ट्रीय नेता को सम्मानित करने के लिए इस स्थल को यथोचित रूप से विकसित किया गया है। गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की अध्यक्ष श्रीमती इला पंत, गोविंद बल्लभ पंत स्मारक समिति की मुख्य संपादक और सलाहकार श्रीमती कुलसुम नूर सैफुल्ला, आवास और शहरी कार्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के महानिदेशक और कई सांसद भी इस माल्यार्पण समारोह में शामिल हुए।
समारोह को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'न्यू इंडिया' वह है जो विकास और प्रगतिशील बदलाव पर ध्यान देते हुए हमारे समृद्ध इतिहास और परंपरा को संरक्षित और पोषित करता है। सेंट्रल विस्टा परियोजना एक ऐसा प्रयास है जिसका उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता सेनानियों, जीवंत इतिहास, वास्तु विविधता और संस्कृति की स्मृति की रक्षा और सम्मान करते हुए वर्तमान समय की बुनियादी सुविधाओं की ज़रूरतों के महत्वपूर्ण अंतराल को समाप्त करना है।
भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा का पुराना स्थल रायसीना रोड और रेड क्रॉस रोड को जोडने वाले स्थल पर रायसीना रोड के गोल चक्कर के पास था। यह स्थल नये संसद भवन नक्शे के अंदर आ रहा था और इस प्रतिमा को स्थानांतरित करने की आवश्यकता थी। केंद्रीय स्थान प्रदान करने और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के सम्मान में पंडित पंत मार्ग का नाम रखा गया था, इसलिये प्रस्तावित पुनर्वास स्थल, गोल चक्कर संख्या 48 एक उपयुक्त विकल्प था। यह चर्च रोड, पंडित पंत मार्ग, लोकसभा मार्ग और राज्यसभा मार्ग के चौराहे पर स्थित है। दो फीट ऊंचे टीले और उथले कदम वाले जल निकाय के साथ, मूर्ति के डिजाइन तत्वों को राष्ट्र के 'पहाड़ी क्षेत्रों' का प्रतिनिधित्व करने के लिए कल्पना की जाती है, पंडित पंत को पहाड़ी क्षेत्र और वहाँ के लोगों की प्रगति में उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
पंडित पंत की प्रतिमा 1966 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा0. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा नई दिल्ली में स्थापित की गई थी। गोबिंद बल्लभ पंत स्मारक समिति का गठन देश भर में पंत के स्मारक कार्यों को आयोजित करने के लिए किया गया था। बीते वर्षों में इसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों ने की है। वर्तमान में, पंडित पंत की पुत्री और 12 वीं लोकसभा की पूर्व सदस्य, श्रीमती इला पंत इस समित की अध्यक्षा हैं।
भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, संयुक्त प्रांत के प्रधान (1937 से 1939 तक), उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री (1946 से 1954 तक) और केंद्रीय गृह मंत्री (1955 से 1961 तक), को 1957 में लोक सेवा के लिए सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया था। इसके अलावा वे राज्यसभा के नेता भी रहे थे।
पंडित पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था और मुरी कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए (एलएलबी) के रूप में स्नातक की डिग्री की प्राप्त की थी, जहाँ उन्हें शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए लम्सडेन पदक से सम्मानित किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। डा0 पंत ने जमींदारी प्रथा को समाप्त करने, वन संरक्षण, महिलाओं के अधिकारों, आर्थिक स्थिरता और सबसे कमजोर समूहों की आजीविका की सुरक्षा जैसी प्रमुख सुधारों को अंतिम रूप दिया था। बाद में उन्होंने भारतीय नागरिकों के लोकतांत्रिक सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को भी उचित रूप से निभाया।