रविवार, 10 जनवरी 2021

बर्ड फ्लू कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक

बर्ड फ्लू कोरोना से ज्यादा खतरनाक 



इसके हर 10 संक्रमित में से 5 की चली जाती है जान

प0नि0डेस्क

देहरादून। देश से अभी कोरोना गया भी नहीं कि बर्ड फ्लू बीमारी आ गई है। बर्ड फ्लू वायरस कोरोना से 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। लोग परेशान हैं कि वे कोरोना के साथ बर्ड फ्लू से किस तरह बचें! 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक बर्ड फ्लू खतरनाक बीमारी है, यह इन्फ्लूएंजा टाइप-ए एच5एन1 वायरस की वजह से फैलती है। इसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है। बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों या दूसरे जानवरों में भी फैल सकता है। सबसे ज्यादा पोल्ट्री फार्म में पलने वाली मुर्गियों से फैलता है। कोरोना की तरह इसके भी कई अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। हालांकि इंसान से इंसान में इस वायरस के ट्रांसमिशन का जोखिम कम है।

एच5एन1 से संक्रमित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए वायरस रिलीज करता है। एच5एन1 बर्ड फ्लू वायरस किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है। इसका कारगर उपाय है कि पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं। जहां पक्षी रहते हैं, वहां बिल्कुल न जाएं। जो लोग अंडा या मुर्गी-मुर्गा खाते हैं, वे इसे खरीदने जाएं तो साफ-सफाई का ध्यान रखें। खरीददारी के वक्त और मीट काटने के दौरान ग्लव्ज पहनें। इसके तुरंत बाद हाथ सैनिटाइज करें या साबुन से हाथ धोएं। नानवेज अच्छे से पकाकर ही खाएं, इससे रिस्क खत्म हो जाता है।

संक्रमित पक्षी के मल, नाक, मुंह या आंखों से निकलने वाले पदार्थ के संपर्क में आने पर इंसान संक्रमित हो सकता है। यह वायरस इंसानों में आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश कर सकता है। कच्चे और दूषित पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने से भी संक्रमित हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया कि इंसानों में इन्फ्लूएंजा एच5एन1 और एच5ए9 वायरस जिंदा या मृत संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से पहुंचा।

बर्ड फ्लू के सारे लक्षण वायरल वाले ही हैं। इसमें भी जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। इनके अलावा सांस फूलने की शिकायत, नाक से खून, आंख लाल होना, डायरिया, पेट में दर्द भी हो सकता है। फेफड़े डैमेज हो जाने से सांस फूलती है। वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्हें सारे बचाव के तरीके कोरोना वाले ही अपनाने चाहिए। इसके सिंप्टम्स दिखने के बाद तुरंत हास्पिटल में एडमिट होंं या आइसोलेशन में जाएं और ज्यादा बीमार मरीजों को इंटेंसिव केयर की जरूरत होती है।

यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इसमें संक्रमितों की मृत्युदर 60 फीसदी तक है, यानी हर 10 में से 5-6 लोगों की जान जाती है। हालांकि ये इंसान से इंसान में ट्रांसमिट नहीं होता है, लेकिन वायरस म्यूटेट करते हैं। जैसे कोरोना के मामले में हुआ है। इससे वायरस के और ज्यादा कंटेजियस (संक्रामक) होने का खतरा रहता है।

बर्ड फ्लू के 11 वायरस हैं, इनमें से 5 इंसानों के लिए जानलेवा हैं। ये हैं- एच5एन1, एच7एन3, एच7एन7, एच7एन9 और एच9एन2। इन वायरसों को एचपीएआई (हाईली पेथोजेनिक ऐवियन इंफ्लूंजा) कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक एच5एन1 वायरस है। दुनिया भर में जंगली पक्षियों की आंतों में ये फ्लू वायरस होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये पक्षी उनसे बीमार नहीं होते हैं। हालांकि बर्ड फ्लू मुर्गियों और बत्तखों समेत कुछ पालतू पक्षियों को बीमार बना सकता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है।

बर्ड फ्लू और अंडे/चिकन खाने के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि डाक्टर लोगों को अधपके पोल्ट्री प्रोडक्ट और मांस नहीं खाने का सुझाव देते हैं। डब्ल्यूएचओ के  मुताबिक अभी तक ये सबूत नहीं मिले हैं कि पके हुए पोल्ट्री फूड से किसी इंसान को बर्ड फ्लू हो सकता है। ये वायरस तापमान के प्रति संवेदनशील है और अधिक कुकिंग टेंपरेचर में नष्ट हो जाता है।

एच5एन1 पहला बर्ड फ्लू वायरस है, जिसने पहली बार किसी इंसान को संक्रमित किया था। इसका पहला मामला साल 1997 में हांगकांग में आया था। एच5एन1 आमतौर पर पानी में रहने वाले पक्षियों में होता है, लेकिन ये पोल्ट्री फार्म में पलने वाले पक्षियों में आसानी से फैल सकता है।

स्वाइन फ्लू (एच1एन1) में इस्तेमाल होने वाली ओसेल टामीविर (टामीफ्लू) नाम की दवा बर्ड फ्लू के इलाज में भी इस्तेमाल हो रही है। इसकी एक और दवा जानामि-वीर (रेलेंजा) भी है। ये दवाएं बीमारी के खतरे को कुछ हद तक कम कर देती हैं।

बर्ड फ्लू अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यह 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है। 2003 से अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहा है। एच5एन1 बर्ड फ्लू वायरस सबसे ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इससे संक्रमित होने वालों में से आधे से ज्यादा की मौत हो जाती है।


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