गुरुवार, 21 जनवरी 2021

अपने काम की वजह से हर साल मारे जाते कई पत्रकार

अपने काम की वजह से हर साल मारे जाते कई पत्रकार



एजेंसीे

नई दिल्ली। आईएफजे के अनुसार हर साल कम से कम 40 पत्राकार और मीडियाकर्मी अपने काम की वजह से मारे जाते हैं। संस्था का कहना है कि पिछले तीन दशकों में पूरी दुनिया में 2,658 पत्रकार मारे गए।

आईएफजे हर साल पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों की सूची बनाता है। पिछले 5 सालों में लगातार 4थी बार मेक्सिको इस सूची में सबसे ऊपर है। वहां 2020 में 13 पत्रकार मारे गए। 

सूची में दूसरे नंबर पर पाकिस्तान है। वहां 2020 में 5 पत्रकारों के मारे जाने की जानकारी मिली। भारत भी पकिस्तान से ज्यादा पीछे नहीं है। 2020 में भारत में कम से कम तीन पत्रकारों के मारे जाने की सूचना मिली। इतने ही पत्रकार अफगानिस्तान, इराक और नाइजीरिया में भी मारे गए। 

आईएफजे का कहना है कि यह आंकड़े लगभग वहीं हैं जहां ये 30 साल पहले थे, जब संस्था ने इन आंकड़ों को इकठ्ठा करना शुरू किया था। संस्था का कहना है कि पत्रकारों के मारे जाने का चलन घट रहा है। 

आईएफजे के महासचिव एंथोनी बैलैंगर ने कहा कि ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, ये हमारे दोस्त और सहकर्मी हैं जिन्होंने बतौर पत्रकार अपने काम के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और उसकी सबसे बड़ी कीमत चुकाई। उन्होंने कहा कि संस्था सिर्फ इन पत्रकारों को याद ही नहीं रखेगी बल्कि एक एक मामले का पीछा करेगी और सरकारों और कानूनी एजेंसियों पर दबाव बनाती रहेगी ताकि उनके हत्यारों को सजा हो सके।

150 देशों में 600,000 सदस्यों वाला आईएफजे उन पत्राकारों की भी खबर रखता है जिन्हें जेल में डाल दिया गया है। अधिकतर मामलों में सरकारों ने खुद को बचाने के लिए बिना स्पष्ट आरोपों के इन पत्रकारों को गिरफ्रतार किया है। इस समय पूरी दुनिया में कम से कम 235 पत्रकार अपने काम से जुड़े मामलों की वजह से जेल में हैं।

आईएफजे के अध्यक्ष युनेस मजाहेद ने कहा है कि यह सारे तथ्य सरकारों द्वारा किए जाने वाले उनकी शक्ति के उस दुरूपयोग पर रोशनी डालते हैं जो वो अपनी जवाबदेही से बचने के लिए करती हैं। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में हमारे सहकर्मियों का जेल में होना हमें याद दिलाता है कि दुनिया भर में जनहित में सत्य को खोज निकालने के लिए पत्राकारों को क्या कीमत चुकानी पड़ती है।

जिम्मेदार पत्रकारों और मीडिया संस्थानों की अहमियत कोरोना वायरस महामारी के इस युग में विशेष रूप से महसूस की गई है। यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल आड्री अजूले ने कहा है कि पत्रकार ना सिर्फ महामारी के दौरान जरूरी जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं, वो हर तरह के सच को झूठ से अलग करने में हमारी मदद भी कर रहे हैं।


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