मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट

 म्यांमार में सैन्य तख्तापलट



आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत कई नेता गिरफ्रतार

एजेंसी

नेपीता। म्यांमार की सेना ने देश की सर्वाेच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद सत्ता अपने हाथ में ले ली है। इन गिरफ्तारियों के बाद सैन्य स्वामित्व वाले टीवी चैनल मयावाडी से घोषणा की कि देश में एक साल तक आपातकाल रहेगा।

म्यांमार की राजधानी नेपीता और मुख्य शहर यंगून में सड़कों पर सैनिक मौजूद हैं। यहां बख्तरबंद वाहन गश्त कर रहे हैं और कई शहरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बंद कर दी गई है। सैन्य टीवी चैनल ने बताया कि सेना ने देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। रार्ष्ट्पति के दस्तखत वाली एक घोषणा के मुताबिक देश की सत्ता अब कमांडर-इन-चीफ आफ डिफेंस सर्विसेस मिन आंग फ्रलाइंग के हाथों में रहेगी।

देश के पहले उप राष्ट्रपति माइंट स्वे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। उन्हें सेना प्रमुख का भी दर्ज दिया गया है। सेना ने कहा है कि उसने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि देश की स्थिरता खतरे में थी। जानकारी के मुताबिक किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है।

म्यांमार के सरकारी चैनल एमआरटीवी ने तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए प्रसारण बंद कर दिया है जिससे सूचनाओं का सही तरह से आदान-प्रदान रुक गया है। सैन्य कार्रवाई के चलते राजधानी नेपीता से संपर्क टूटने के कारण हालात बिगड़ गए हैं। यहां अंतरराष्ट्रीय प्रसारकों को ब्लाक कर दिया गया है और स्थानीय स्टेशन आपफ एयर हो गए हैं। यंगून में स्थानीय लोगों ने आने वाले दिनों में नकदी की कमी पड़ने की आशंकाओं के चलते एटीएम के सामने लाइन लगाना शुरू कर दिया है। म्यांमार बैंकिंग एसोशिएसन के मुताबिक बैंकों ने कुछ समय के लिए सभी आर्थिक सेवाओं को रोक दिया है।

म्यांमार की सेना ने कहा कि देश में एक साल का आपातकाल खत्म होने के बाद चुनाव होंगे। इस दौरान चुनाव आयोग में सुधार किया जाएगा और पिछले साल नवंबर में होने वाले चुनावों की समीक्षा भी की जाएगी। सेना ने दोहराया कि 8 नवंबर 2020 को चुनावों में बड़े पैमाने पर मतदान के दौरान धोखाधड़ी हुई थी। बता दें कि इस चुनाव में नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी पार्टी ने 83 फीसदी सीटें जीत ली थीं। सेना और सरकार के बीच तभी से तनाव था जिसकी परिणति तख्तापलट के साथ हुई है।

संसद के नए सत्र से पहले सेना ने चेतावनी दी थी कि चुनाव में वोट के फर्जीवाड़े की शिकायत पर यदि कार्रवाई नहीं हुई तो सेना कदम उठाएगी। इस हफ्रते सैन्य प्रवक्ता द्वारा तख्तापलट की संभावनाओं को खारिज करने से इनकार करने के बाद से ही देश में सियासी तनाव बढ़ गया था। वहीं कमांडर इन चीफ ने यहां तक कह दिया कि यदि संविधान का पालन नहीं किया गया तो उसे वापस ले लिया जाएगा।

म्यामांर की नेता आंग सान सू की के सियासी दल नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी एनएलडी ने देश के लोगों से सैन्य तख्तापलट और तानाशाही कायम करने की कोशिशों का विरोध करने का आह्वान किया है। पार्टी प्रमुख ने सू की के फेसबुक पेज पर कहा गया है कि सेना के कदम अन्यायपूर्ण हैं और मतदाताओं की इच्छा एवं संविधान के विपरीत हैं। 

भारत ने म्यामांर में सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेने पर ‘गहरी चिंता’ जताते हुए कहा कि उसने पड़ोसी देश में सत्ता के लोकतांत्रिक ढंग से हस्तांतरण का हमेशा समर्थन किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत म्यामांर के हालात पर करीबी नजर रखे हुए है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक हमारा मानना है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। 

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और आंग सान सू की समेत देश के शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी पर अमेरिका ने धमकी दी है कि यदि देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाए गए तो वह कार्रवाई करेगा। व्हाइट की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि म्यांमार सेना ने देश में कायम हुए लोकतंत्र को कमतर करने के कदम उठाए हैं। इन खबरों से अमेरिका चिंतित है।

महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने भी सू की तथा अन्य नेताओं को म्यांमार सेना द्वारा हिरासत में लेने की निंदा करते हुए देश की सत्ता सेना के हाथों में जाने पर चिंता जताई। गुटेरस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि महासचिव ने देश के शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा करते हुए मौजूदा हालात को म्यांमार में लोकतांत्रिक सुधारों के लिए एक बड़ा झटका बताया है।


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