शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

उपनल कर्मियों के मामले में तानाशाही के बजाय समाधान पर जोर दे सरकार: मोर्चा

उपनल कर्मियों के मामले में तानाशाही के बजाय समाधान पर जोर दे सरकार: मोर्चा   



#आंदोलित कर्मियों को सेवा समाप्ति की उपनल मुख्यालय द्वारा दी गई धमकी 

#नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन कहा है मामला    

#माफियाओं के पक्ष में आ जाते हैं रातों-रात विधेयक        

#राजभवन से मामले में हस्तक्षेप की मांग     

संंवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों  को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों उपनल कर्मी अपने नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन को लेकर आंदोलित हैं, लेकिन सरकार समाधान ढूंढने के बजाय उनके आंदोलन को कुचलकर इनका दमन करना चाहती है। उपनल मुख्यालय से जारी आदेश से यह साफ हो गया है, जिसमें इन आंदोलित कर्मियों की सेवा समाप्ति एवं इनके स्थान पर नई भर्ती का जिक्र किया गया है।          

नेगी ने कहा कि 12/11/ 2018 को उच्च न्यायालय ने इन कर्मियों के नियमितीकरण एवं न्यूनतम पे-स्केल  महंगाई भत्ता सहित देने एवं जीएसटी न काटने हेतु सरकार को निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार निर्देशों के अनुपालना के बजाय उनकी राह में रोड़ा अटकाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी योजित कर दी गई , जिसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 01/02 /2019 को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।                     

नेगी ने कहा कि  सरकार को सिर्फ और सिर्फ माफियाओं की चिंता रहती है, जिनके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश को दरकिनार कर  इनके पक्ष में रातों- रात  विधायक  ला देती है, लेकिन इन गरीब कर्मचारियों  के बारे में सोचने का समय सरकार के पास नहीं है। सरकार को चाहिए कि तानाशाही रवैया  छोड़ जनहित में सर्वोच्च न्यायालय में योजित एसएलपी वापस ले कर समस्या का स्थाई समाधान करे। मोर्चा राजभवन से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग करता है। 

 पत्रकार वार्ता में मोहम्मद असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद रहे।

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