इंसास से कई गुना बेहतर सिग सार असाल्ट राइफल
सेना को आखिरकार इंसास राइफल से मुक्ति मिल चुकी
एजेंसी
नई दिल्ली। सेना का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। कई साल तक इंसास राइफलों के सहारे आतंकवादियों और दुश्मनों से मुकाबला करने के बाद अब उनके पास लेटेस्ट सिग सार 716 असाल्ट राइफल है। लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल, लाइन आफ कंट्रोल से लेकर आतंकवाद से प्रभावित कई इलाकों में तैनात जवानों को यह राइफलें मुहैया कराई गई हैं। उज्बेकिस्तान के साथ जारी युद्वाभ्यास ‘दुस्तलिक’ में भी इन्हीं राइफलों का यूज हो रहा है।
सिग-716 को अमेरिकी कंपनी ‘सिग सार’ बनाती है। यह कंपनी दुनिया की सबसे बेहतरीन राइफलें बनाने के लिए जानी जाती है। सिग-716 को एलओसी, एलएएसी समेत काउंटर इनसर्जेंसी आपरेशंस के लिए उपलब्ध कराया गया है। सेना आमतौर पर एके-47 का यूज करती आई है। इसके अलावा इंसास का भी लंबे समय तक यूज हुआ। कश्मीर में आतंकवादी पहले से ही एके-47 का इस्तेमाल करते रहे हैं जिसकी रेंज 300 मीटर होती है। यानी दोनों तरफ से बराबर रेंज वाली राइफलों का इस्तेमाल होता था। इससे आतंकियों का सफाया करने के लिए सैनिकों को उनके पास तक जाना पड़ता था, इससे बेवजह खून बहता था।
इंसास की रेंज भले ही 400 मीटर हो मगर इसका भरोसा नहीं कर सकते। उसके 5.56एमएम कैलिबर से दुश्मन घायल होता था, मौत काफी क्लोज रेंज से फायर करने पर होती है। नतीजा ये होता था कि कई गोलियां लगने के बावजूद आतंकी मुकाबला करते रहते थे। अमेरिकी सेना ने तालिबान के खिलाफ भी यही दिक्कत झेली। इसके बाद एक नई तरह की असाल्घ्ट राइफल का डिवलेपमेंट शुरू हुआ। नतीजा निकला सिग-716।
सिग सार 716 असाल्ट राइफल की खासियतें- कैलिबरः 7.62 नाटो, बैरल लेंथः 16 इंच, बैरल मैटीरियलः कार्बन स्टील, रेंजः 600 मीटर, मैगजीन टाइपः एआर-10, ऐक्शन टाइपः सेमी आटो, स्टाक टाइपः टेलिस्कोपिक, ट्रिगर टाइपः सिंगल स्टेज पालिश्ड/हार्ड कोट, ट्विस्ट रेटः 1ः10, फोरएंड टाइपः अलाय, ग्रिप टाइपः पालिमर, ओवरआल लेंथः 37 इंच, ओवरआल विड्थः 2.5 इंच, हाइटः 8 इंच, वजनः 3.85 किलोग्राम।
इसके मुकाबले इंसास की खासियत थी- कैलिबरः 5.56 एमएम, आपरेशनः गैस आपरेटेड, रेंजः 400 मीटर, लेंथ ;बिना बेयोनेटद्धः 960एमएम (फिक्स्ड बट), 730एमएम (फोल्डेड बट), मैगजीन क्षमताः 20 राउंड्स, रेट आफ फायरः 600-650 राउंड्स पर मिनट, वजनः 4.3 किलो (मैगजीन के साथ)।
सिग सार 716 को 7.62एमएम राउंड्स फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 600 मीटर है जो कि एके-47 से दोगुनी है यानी बिना आतंकियों के करीब जाए उन्हें निशाना बनाया जा सकता है। इसमें शार्ट-स्ट्रोक पिस्टन-ड्रिवेन आपरेटिंग सिस्टम है जिससे चलाने वाले को कम झटका लगता है यानी एक्यूरेसी बढ़ जाती है। इसमें एम1913 मिलिट्री स्टैंडर्ड रेल्स भी हैं जिनपर नाइट विजन डिवाइसेज, टार्च या मिशन की जरूरत के हिसाब से कोई और डिवाइस भी लगाया जा सकता है।
इंसास राइफलों के साथ करगिल युद्व में सैनिकों को खासी दिक्कतें पेश आई थीं। लगातार इंटेंस फायरिंग के दौरान राइफलें जाम हो जाती थीं। ओवरहीटिंग की समस्या भी है। एक बार राइफल ओवरहीट हो जाए तो जबतक वो ठंडी न हो जाए, उसे यूज नहीं कर सकते। यह किसी भी सिचुएशन में सैनिकों के लिए खतरनाक है। इंसास राइफल में सिलेक्टिव फायरिंग मोड काम नहीं करता। इसके अलावा कम तापमान में मैगजीन क्रैक हो जाती थी। सिग-716 में ये सारी दिक्कतें नहीं हैं।
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