भारतीय वायुसेना ने पहली बार इस अभ्यास में भाग लिया।जिसमें सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों ने भी भाग लिया। भारत के अलावा छह देशों यूएई, अमेरिका, फ्रांस, सऊदी अरब और बहरीन ने इस अभ्यास में अपने हवाई अमलेके साथ भाग लिया।जार्डन, ग्रीस, कतर, मिस्र और दक्षिण कोरिया ने युद्धाभ्यास में पर्यवेक्षक बलों के रूप में भाग लिया।
इस अभ्यास के उद्देश्य प्रतिभागी बलों को बड़ी संख्या में सैन्य बलों को शामिल करने के प्रति अभ्यस्त बनाना, सामरिक क्षमताओं को तेज करना और प्रतिभागी सैन्य बलों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना था। भाग लेने वाले चालक दल और विशेषज्ञ पर्यवेक्षकों को युद्धाभ्यास में शामिल करने का उद्देश्य उन्हें ऐसे सैन्य परिदृश्य में ढालना था जिसमें अनेक देशों के सैन्य बल साथ मिलकर काम करते हैं। भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोब मास्टर विमान द्वारा सैन्यबलों को समयबद्ध तरीक़े से लाने ले जाने की सुविधा प्रदान की गई थी ।
अभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना ने विभिन्न प्रकार के अनेक विमानों का इस्तेमाल करते हुए करीब करीब यथार्थवादी वातावरण में लार्जफोर्स एंगेजमेंट (एलएफई) मिशन को अंजाम दिया। भारतीय वायुसेना ने दिन और रात दोनों समय सभी नियोजित मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, इस दौरान किसी भी मिशन को रद्द नहीं करना पड़ा। संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना ने सभी संभव सहायता प्रदान की तथा यह सुनिश्चित किया कि सभी नियोजित गतिविधियां समय पर पूरी हो जाएं ।
भारतीय वायु सेना सामरिक अंतर्राष्ट्रीय अभ्यासों में सक्रिय रूप से भाग ले रही है, जिसमें सहयोगात्मक संबंधों को बढ़ाया जाता हैं।संयुक्त अरब अमीरात में मैत्रीपूर्ण ताकतों के साथ एक बहुराष्ट्रीय अभ्यास ने सभी प्रतिभागी ताकतों को उपयोगी शिक्षा प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। युद्धाभ्यास के दौरान अर्जित ज्ञान, सीखे गए सबक तथा डेज़र्ट फ्लैग-VI के दौरान बनाए गए संबंध भाग लेने वाले सैन्य बलों की पेशेवर क्षमताओं को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे।