शनिवार, 24 अप्रैल 2021

भारत ने सबमर्जेन्स रेस्क्यू वीइकल को भेजा

 लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी की खोज और बचाव के लिए भारतीय नौसेना का अभियान



भारत ने सबमर्जेन्स रेस्क्यू वीइकल को भेजा

एजेंसी

चैन्नई। भारतीय नौसेना ने इंडोनेशियाई पनडुब्बी केआरआईएन नांग्गला की खोज और बचाव प्रयासों में टेंटारा नेसिआनल इंडोनेशिया-अंगकटान लुट (टीएनआई एएल- इंडोनेशियाई नौसेना) की सहायता के लिए अपने डीप सबमर्जेंस राहत पोत (डीएसआरवी) को भेजा। इंडोनेशियाई पनडुब्बी केआरआई नांग्गला के लापता होने की सूचना मिली थी।

भारतीय नौसेना को लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी के बारे में अंतरराष्ट्रीय सबमरीन एस्केप और बचाव संपर्क कार्यालय (आईएसएमईआरएलओ) के माध्यम से अलर्ट प्राप्त हुआ था। पनडुब्बी 53 कर्मियों के एक दल के साथ बाली के 25 मील उत्तर में एक स्थान में अभ्यासरत थी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री जनरल प्राबोवो सुबियांतो से टेलीफोन पर बातचीत की। रक्षा मंत्री ने कहा कि लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी नांग्गला के बारे में सुनकर बेहद दुखी हूं जिसमें चालक दल के 53 सदस्य सवार थे। मैंने पहले ही भारतीय नौसेना को डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (डीएसआरबी) को इंडोनेशिया की ओर भेजने का निर्देश दिया है। मैंने भारतीय वायु सेना से हवाई मार्ग के जरिये डीएसआरबी शामिल करने की व्यवहार्यता देखने को कहा है। 

जनरल प्रबोवो सुबिआन्तो ने उनके देश को भारत के सहयोग की सराहना की। पनडुब्बी के लापता होने या डूबने की सूचना मिलने पर बचाव के लिए पानी के नीचे खोज के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है जो डीएसआरवी की मदद से निष्क्रिय पनडुब्बी की तलाश कर सकता है। भारतीय नौसेना की डीएसआरवी प्रणाली अपने अत्याधुनिक साइड स्कैन सोनार (एसएसएस) और रिमोटली आपरेटेड व्हीकल (आरओवी) का उपयोग करते हुए 1000 मीटर गहराई तक पनडुब्बी का पता लगा सकती है। 

पनडुब्बी का सफलतापूर्वक पता लगाने के बाद डीएसआरवी का एक उप माड्यूल- सबमरीन रेस्क्यू व्हीकल (एसआरवी) डूबी पनडुब्बी के पास फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए जाता है। एसआरवी का इस्तेमाल पनडुब्बी में फंसे लोगों को आपात आपूर्ति करने के लिए भी किया जा सकता है।

भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों देशों की नौसेना के बीच परिचालन में मजबूत सहयोग एवं साझेदारी है। दोनों देशों की नौसेनाएं अतीत में नियमित रूप से युद्वाभ्यास करती रही हैं और उन्होंने तालमेल और अंतरसंचालनीयता का विकास किया है जिसे वर्तमान मिशन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


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