जीवल टापः प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर साहसिक पर्यटन स्थल
जीवल टॉप से....
स्टार गेजिंग एवं एडवेंचर स्पोर्ट्स के शौकीनों के लिए बेहतरीन साइट
पवन नारायण रावत
गंगोलीहाट। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए पहाड़ों में जगह खोजनी नहीं पड़ती और बात गंगोलीहाट की हो तो हरगिज नहीं। गंगोलीहाट में प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर ट्रैकिंग रूटों की कोई कमी नहीं। बस प्रकृति से लगाव होना चाहिये। गंगावली यात्रा टीम का उद्देश्य ऐसे ही तमाम प्रकृति प्रेमी सैलानियों को गंगावली क्षेत्र के ऐसे अनछुए प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों एवं ट्रैकिंग स्थलों से रूबरू करवाना है।
जीवल टॉप से....
इसी क्रम में गंगावली यात्रा टीम निकल पड़ी ट्रैकिंग करने। भुवनेश्वर-जीवल ट्रैकिंग मार्ग पर। प्राकृतिक खूबसूरती को समेटे यह ट्रैकिंग मार्ग विश्व प्रसिद्व पाताल भुवनेश्वर गुफा के समीप स्थित है। इसके लिए पहले गंगोलीहाट से लगभग 10 किमी आगे भुवनेश्वर मार्ग पर यात्रा टीम पहुंची ओक नैचुरल होम स्टे पर। यह जंगल के बीचों बीच स्थित एक शांत रमणीक स्थल है साथ ही भुवनेश्वर-जीवल ट्रैकिंग मार्ग का प्रारम्भ स्थल भी।
ओक नेचुरल होम स्टे से....
पैराग्लाइडिंग पायलट, प्रकृति प्रेमी एवं यात्रा टीम के सदस्य शंकर जोकि इस ट्रैकिंग रुट पर यात्रा टीम के लीडर एवं गाइड रहे, के आने के साथ ही यात्रा प्रारम्भ हुई। शंकर आगे-आगे, पीछे भूपेश और उनके कदमों का पीछा करते हुए सबसे पीछे मैं।
घने जंगल के बीचों बीच ट्रैकिंग मार्ग...
शुरुआती रास्ता आधे किमी के करीब सीधा ही है। बातों ही बातों में इतनी दूरी कब तय हो गई, पता ही नहीं चला। धीरे-धीरे रास्ता जंगल के बीचों-बीच प्रवेश करने लगा। झाड़ियां उनसे होकर गुजरने में कहीं न कहीं शरीर पर अपना निशान छोड़ने को तैयार ठैरी एकदम। एक जगह पर कुछ खास किस्म के निशान नजर आये। शंकर ने बताया कि ये इस जगह पर तेंदुए के होने की निशानी है। यह सुनकर हम सब पहले की अपेक्षा अब ज्यादा नजदीक होकर आगे बढ़ने लगे।
कुछ दूर बाद नजदीक के पेड़ों से पक्षियों की संगीतमयी ध्वनि कानों में पहुंचने लगी। कुछ दूर और आगे बढ़ने पर यह कलरव ध्वनि और तेज होने लगी। फिर क्या था, एक जगह पर रुककर तसल्ली से उस संगीत का लुफ्रत लिया गया। ट्रैकिंग रूट पर इस प्रकार का प्राकृतिक संगीत आपके लिए किसी ऊर्जा के रिचार्ज से कम नहीं। मानों जंगल में मौजूद सारे पक्षी मिल जुलकर आपके स्वागत में शानदार सुरमयी प्रस्तुति पेश कर रहे हों। और सन्देश दे रहे हों कि ट्रैकिंग में प्राकृतिक सुंदरता का आनन्द लीजिए और इसे बरकरार रखने में अपना भी योगदान देना न भूलें।
जीवल टॉप से सुदूर घाटी को निहारते यात्रा टीम के सदस्य ...
प्राकृतिक संगीत से रिचार्ज होकर कदम जैसे-जैसे आगे ऊंचाई की तरफ बढ़ते जाते, चारों तरफ का नजारा एक अलग ही स्फूर्ति हमारे अंदर भरता जाता। धूप की बढ़ती तेजी और चढ़ती चढ़ाई को देखते हुए कुछ देर बाद, रास्ते मे एक छायादार स्थान पर विश्राम करने का निर्णय लिया गया। विश्राम के दौरान भूपेश द्वारा चर्चा की गयी कि किस तरह प्राकृतिक संसाधनों को उचित वैज्ञानिक दोहन के साथ ही आर्थिकी से जोड़ा जाना वर्तमान की आवश्यक्ता है।
गंगावली यात्रा टीम...
रास्ता आगे की तरफ एक बेहतरीन पगडंडी से होकर ऊंचाई पर बढ़ता जाता है। आखिर प्राचीन समय में कितनी मेहनत से इस रास्ते को तैयार किया गया होगा। इस पर गुजरने वाले ग्रामीणों एवं राहगीरों द्वारा। उस समय के लोगों ने अपनी आवश्यक्ता के अनुसार ही प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किय। उन्होंने प्रकृति से जितना लिया, उससे अधिक उन्होंने प्रकृति को संवारने में अपना समय और श्रम निवेश किया। यही प्राचीन लोगों के पहाड़ों में विषम परिस्थितियों में सफलतापूर्वक जीवनयापन करने का वास्तविक राज है। जो आधुनिक विकास की चकाचौंध से ग्रस्त मानव सभ्यता के लिये सिपर्फ दूर की कौड़ी ही है। सुदूर पहाड़ी के छोर पर बसे और पलायन की पीड़ा से अपने अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में लगे एक गांव को देखते हुए भूपेश ने कहा। हम सब सहमत थे। सबकी चुप्पी ने इस बात की पुष्टि कर दी।
एक तरफ पहाड़ों की खूबसूरती को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर पुरानी पीढ़ियों ने प्रकृति का बखूबी साथ दिया। बदले में प्रकृति ने उन्हें स्वस्थ और दीर्घायु रहने का वरदान दिया और आज मानव ने अप्राकृतिक एवं भौतिकवादी सोच से अशांति की आग भड़काने वाली चिंगारी अपने सीने में जकड़ रखी है। जो विकास की अंधी दौड़ वाले हमारे ज्वलनशील विचारों से हमें ही जला रही है। लम्बी खामोशी को तोड़ते हुए शंकर दा की आवाज हर जगह फैले धुंए सी हमारे मन मस्तिष्क में लहराने लगी। वाकई चारों तरपफ धुंए के कारण सिर्फ धुंध ही नजर आ रही थी। वर्तमान पीढ़ी के समक्ष रोजगार की समस्या के मानिंद। जिसमें अत्याधुनिक मानव सभ्यता के विकास की इमारत आगे बढ़ने पर धुंधली एवं कमजोर नजर आ रही थी। शंकर दा ने बताया कि प्रकृति ने स्वयं अपनी व्यवस्था बनाई हुई है। हर एक कार्य के लिए एक विशेष जीव की उत्पत्ति की गयी है। हमें सिर्फ उनसे सीखना है।
बातों ही बातों में कब हम पूरी चढ़ाई चढ़कर जीवल पहुंच गये, पता ही नहीं चला। जीवल पहुंचते ही सुदूर घाटी के शानदार नजारों ने वाकई मन मोह लिया। यहां तक की थकान छूमंतर हो चुकी थी। धुंए और धुंध के चलते यहां से पर्वतराज हिमालय के दर्शन नहीं हो पाए। फिर भी जीवल के प्राकृतिक नजारों के बीच इतनी ऊंचाई पर पहुंचकर जो आनन्द प्राप्त हुआ। उसको सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है। चारों तरफ हरियाली। बांज-देवदार-बुरांस से भरपूर वनों की हवा। सुदूर कोने तक फैली घाटियां। सब आपको अपनी तरफ आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
जीवल टाप पर सबसे अधिक ऊंचाई से, जीवल से भुवनेश्वर, भृगुतुंग एवं चिटगल तक अपने ही अंदाज में उड़ान भरती हुई चीलें भी इस रूट का आनन्द लेते हुई दिखाई पड़ीं। यह आखिर उनका ही तो घर हुआ। लगभग घण्टे भर तक यहां रुकने का आनन्द किसी भी परम् आनन्द से कमतर नहीं। स्टार गेजिंग के शौकीनों के लिए यह एक बेहतरीन साइट है।
वाकई ये यादगार अनुभव रहा। जीवल के यादगार लम्हों को अपनी मधुर स्मृतियों में समेटे हुए आखिरकार सधे कदमों से हम सब वापस चल दिये और लगभग 5 किमी की ट्रैकिंग कर बेस कैम्प स्थित ओक नैचुरल होम स्टे में वापस पहुंच गए। बेस कैम्प की खूबसूरती और शंकर दा के हाथों से बनी ब्लैक काफी ने सभी को तरोताजा कर दिया। आखिरकार एक और बेहद खूबसूरत ट्रैकिंग का समापन हुआ।
ट्रैकिंग सिर्फ शारीरिक एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि जीवन के मानसिक एवं आध्यात्मिक संतुलन को बनाये रखने एवं रिचार्ज करने वाली ऊर्जा है। ये गंगावली यात्रा टीम को आभास हुआ। भुवनेश्वर-जीवल ट्रैकिंग से सभी का मानना था और सच था कि जीवल ट्रैकिंग से पूरी टीम को वाकई नव-जीवन की स्फूर्ति प्राप्त हुई है।
अब लिंक का इंतजार कैसा? आप सीधे parvatiyanishant.page पर क्लिक कर खबरों एवं लेखों का आनंद ले सकते है।