पिपुल्स फार एनिमल्स संस्था द्वारा भ्रष्टाचार की जांच की मांग
पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक पर संस्था ने लगाये गबन के गंभीर आरोप
संवाददाता
हरिद्वार। पिपुल्स फार एनिमल्स संस्था ने आरोप लगाया कि राजाजी टाईगर रिजर्व के पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक हरिद्वार और पदोन्नति उपरांत गोविंद पशुविहार पुरोला में उपनिदेशक ने वन एवं वन्यजीवों की योजनाओं के तहत आये लाखों रुपयों के बजट में अनियमितता कर लाखांे रुपयों का गबन किया हैं। संस्था ने इसके साक्ष्यांे सहित 8 पृष्ठ शिकायत ओर 8 पृष्ठ साक्ष्यों सहित लिखित रूप में प्रेषित कर उक्त लाखांे रुपयों की लूट की जांच करने की मांग की है।
अपने 17 बिन्दुओं में संस्थान ने उक्त पूर्व वन विभाग के अधिकारी पर विभिन्न आरोप लगाये है। अपनी शिकायती पत्र में संस्था ने कहा कि पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा सरकारी कार्यालय से तार का अवैध कटवा डालकर पिछले 8 वर्षों से अपने राजकीय आवास और सर्वेंट क्वार्टर में अवैध विद्युत आपूर्ति की। वहीं बेरिवाड़ा और धौलखण्ड रेंज में 368 पेड़ों के अवैध पातन प्रकरण वसूली में वनरक्षक, दरोगा, रेंजर से वसूली के आदेशों में पिछले 8 वर्षों से तैनात वन्यजीव प्रतिपालक का नाम ना होना संदेहास्पद है।
कहा गया कि वन्यजीव प्रतिपालक केमल द्वारा एक अवैध वाहन नं0 18बी 9045 द्वारा लाखांे का गबन किया गया। निदेशक के संज्ञान में आने के बाद इस वाहन पर तो रोक लग गई लेकिन लाखों रुपयों की लूट की वसूली नही हुई। राजाजी टाइगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज से महज 500 मीटर दूरी पर अवैध कोका कोला डिपो का कब्जा लेकिन 21/07/2014 में केस कटने के बाद भी कोई कारवाई नहीं की गई।
राजाजी टाईगर रिजर्व की हरिद्वार रेंज में हिल बाईपास पर वर्ष 2016 में पुल बनाने के दौरान पहाड़ काट कर बीच मंे से रास्ता निकाला। उस दौरान टाईगर रिजर्व की मिट्टी डम्परों द्वारा दिन रात बेची गई। टाईगर रिजर्व में उषा ब्रेकों (उड़न खटोला) को चुपचाप पैसे ले-देकर लीज से अतिरिक्त भूमि पर अवैध अतिक्रमण कराया गया। हरिद्वार रेंज में मन्शादेवी मंदिर पर अतिरिक्त भूमि पर अतिक्रमण ओर वहां व्यवसायिक गतिविधियां संचालित कराकर जेब भरी गई।
शिकायती पत्र के मुताबिक ब्रह्मपुरी हिल बाईपास गेट पर दुर्गेश चाट वाले को अवैध अतिक्रमण कर रेस्टोरेंट वो भी टाईगर रिजर्व की भूमि की तरफ मंुह करके नियम विरुद्व खुलवाया। उसके पश्चात् वर्ष 2019 में पहाड़ी काट कर निजी शौचालय रेस्टोरेंट के लिये बनवाया। हरिद्वार रेंज में वर्ष 2016 में हरनाल बीट में वन्यजीवों के लिए समरसिवर पर लाखों रुपये खर्च दिखाये। लेकिन आज तक वहां विद्युत कनेक्शन ही नही लगा।
चीलावाली रेंज के रेंज अधिकारी को संस्था ने गबन के आरोप में सस्पेंड कराया लेकिन संस्था का कहना हैं कि कूट रचित दस्तावेज तैयार करने में उन दस्तावेजांे पर वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह के भी हस्ताक्षर (काउंटर साइन) हैं। बिना कार्याे का निरीक्षण किये वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने साइन किये जो कि नियम विरुद्व हैं।
संस्था ने आरोप लगाया कि उनका आचरण अपने अधीनस्थ कर्मचारियों एवं अधिकारियों के प्रति सही नही हैं क्योंकि टाइगर रिजर्व में तैनात डा0 आदिति के साथ अभद्रता करने पर इनको उच्च अधिकारियांे द्वारा चेतावनी देकर छोड़ दिया गया और कई ऐसे किस्से हैं जिनमंे प्रमुख वन संरक्षक के साथ भी पत्राचार में अभद्रता पूर्ण पत्र लिखने के लिये जैसे कई विवादों से इनका पुराना नाता हैं।
शिकायती पत्र में कहा गया है कि उप निदेशक बनने के बाद गोविंद पशु विहार पुरोला में भी इनके द्वारा लाखों रुपयों का भुगतान कर दिया गया लेकिन मौके पर कार्य अधूरे पाये गये। गोविंद पशु विहार में उप निदेशक बनते ही फिर वही अवैध वाहन नं0 यूके18बी 9045 को कोविड़-19 के मद्देनजर फायर में लगाकर लाखांे रुपयों का गबन किया जा रहा हैं। जबकि उक्त वाहन को अवैध करार देकर राजाजी टाईगर रिजर्व के निदेशक ने रोक लगाई थी।ं
कई महीने बीतने के बाद भी पदोन्नति उपरांत टिहरी में तैनाती लेने के बाद वर्तमान तक हरिद्वार राजकीय आवास खाली नही किया। जबकि वर्तमान में तैनात वन्यजीव प्रतिपालक अपने चीला वन्यजीव प्रतिपालक चीला कार्यालय पर बने टिन शेड में रहने को मजबूर है। पशु विहार पुरोला में ठेकेदारों को सूअररोधी दीवार को अधूरा छोड़ने पर भी पूरा भुगतान दे दिया।
कोमल सिंह राजाजी टाईगर रिजर्व में वन्यजीव प्रतिपालक हरिद्वार के पद पर 8 वर्ष तैनाती के दौरान अपने उच्च अधिकारियांे से छिपाया और हरिद्वार रेंज में लगभग 50 से 70 बीघा भूमि पर अवैध अतिक्रमण को कागजांे में भी छिपाकर रखा। वर्ष 2019 में अतिक्रमण की जांच संस्था द्वारा प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड को लिखित रूप में दी गई। जिसपर जांच अधिकारी कपिल जोशी द्वारा जांच की गई। वे भी इतने बड़े अवैध अतिक्रमण को देख हैरान रह गये।
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