बुधवार, 5 जनवरी 2022

पहली बार जोजी पर्वत दर्रा 31 दिसंबर के बाद खुला रहा

पहली बार जोजी पर्वत दर्रा 31 दिसंबर के बाद खुला रहा



- पहली बार बीआरओ ने 31 दिसंबर के बाद भी विकट जोजी पर्वत दर्रे (11,649 फीट की ऊंचाई) को खुला रखा

- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लिए लाजिस्टिक्स की आपूर्ति लाइन को खुला रखने के लिए बीआरओ की अग्रिम मोर्चे की परियोजनाएं

- मौसम की चरम स्थिति में भी चौबीसों घंटे काम कर रही बीकन और विजयक 

एजेंसी

लेह। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 11,649 फीट की ऊंचाई पर विकट जोजिला की पहुंच में विस्तार कर एक बार फिर उत्कृष्टता के अपने मानक स्तर को और अधिक ऊंचा किया है। यह दर्रा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। पहली बार जोजी पर्वत दर्रा 31 दिसंबर के बाद खुला रहा है।



बीआरओ ने यह उपलब्धि अपनी अग्रिम मोर्चे की परियोजनाओं- विजयक और बीकन के जरिए प्राप्त की है। ये परियोजनाएं लद्दाख की सामाजिक-आर्थिक कल्याण के अलावा रणनीतिक प्रभाव के क्षेत्रा को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं। पिछले साल इस अवधि को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाया गया था। इस साल बीआरओ खामोशी से लेकिन दृढ़ रूप से बर्फ को हटाकर अलग करने की प्रक्रिया को पुनर्गठित करके और उन्हें अत्याधुनिक बर्फ हटाने वाले उपकरण के साथ जोड़कर अपने खुद के रिकार्ड को बेहतर बनाने की यात्रा पर निकल पड़ा था। इन योजना और प्रयासों के परिणाम सभी के सामने है। बीआरओ ने उस उपलब्धि को प्राप्त किया है, जिसे अब तक कई लोग असंभव मानते थे।



लद्दाख केंद्रशासित प्रशासन और स्थानीय लोगों ने इस प्रयास की सराहना की है कि यह अतिरिक्त अवधि केंद्रशासित प्रशासन पर लाजिस्टिक के बोझ को कम करती है। इसके अलावा स्थानीय निवासियों को नजदीक आने वाली कठोर सर्दियों का सामना करने के लिए अतिरिक्त राशन और आपूर्ति का भंडारण करने में सहायता करती है।

2022 के पहले तीन दिनों में बीआरओ और पुलिस कर्मियों की सामूहिक सहायता से लगभग 178 वाहन इस दर्रे से गुजर पाए हैं। इस संख्या को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि तापमान माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाता है और सड़क बर्फानी तूपफान जैसी परिस्थितियों के साथ अत्यधिक पाले से घिरी होती है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं। इस तरह बपर्फ को हटाने के अलावा क्षेत्र को सड़क के योग्य बनाए रखने के लिए दैनिक आधार पर रखरखाव किया जाता है, जो कि बीआरओ के कर्मयोगियों के अथक और निस्वार्थ प्रयासों से संभव हो पाता है।


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