गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

स्पैक्स ने होली पर प्राकृतिक रंग अपनाने को जागरूक किया

स्पैक्स ने  होली पर  प्राकृतिक रंग अपनाने को जागरूक किया


 संवाददाता
देहरादून। स्पेक्स संस्था द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत 22 से 28 फरवरी तक  विज्ञान सप्ताह का आयोजन  किया जा रहा है। संस्था द्दारा आगामी  होली त्यौहार पर प्राकृतिक रंग बनाने की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हरिपुरकला एवं शेरगढ की ग्रामीण महिलाओं हेतु किया। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को ऐसे मौकों पर पर्यावरण, स्वास्थ्य विज्ञान एवं तकनीकी के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने पर जोर दिया गया। 
स्पेक्स संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा ने बताया कि यहां हर त्यौहार बडी धूम-धाम से मनाया जाता है जिनमें से होली भी है। धीरे-धीरे इसके स्वरूप में परिवर्तन होने लगा। जहां होली की यादें खुशनुमा होनी थी वहीं कई लोगो के लिए यह बुरी याद बन जाती है। उसका मुख्य कारण होली के रंगो में खतरनाक रसायनो की मिलावट का होना है। जो हमारी त्वचा, बालों, आंखो और पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव डालते और नुकसान पहुँचाते हैं। 
उन्होने बताया कि होली के अवसर पर संस्था द्वारा प्राकृतिक साधनों से होली के रंगों को बनाने की पहल की गई है। यह विज्ञान के प्रयोग से शुद्ध पारिस्थिकी एवं उत्तम जीवनगुणवत्ता को बनाये रखने  के लिए एक अभियान है। जिसमें रंगो के विज्ञान एवं प्राकृतिक रंग बनाने की तकनीकी का हस्तारंण करना भी है। 
उन्होंने बताया होली के रंग प्राकृतिक रंगों के संग,  बसंत ऋृतु के विभिन्न रंगों को प्रदर्शित करते हैं। 


होली एक जश्न है जिसमें किसान रबी की फसल की कटाई के बाद अच्छी फसल होने का जश्न सामूहिक तौर पर मनाते हैं।  इसलिए आवश्यक है कि हमारे द्वारा होली में प्रयोग किये जा रहे रंग भी प्रकृति की तरह स्वच्छ व हानि रहित हों ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। 
स्पेक्स द्वारा आयोजित की जा रही इस कार्यशाला में बाजार में उपलब्ध रंगो में हो रही मिलावट के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ शुद्ध प्राकृतिक रंग बनाने की प्रक्रिया के विषय में जागरूक करना है। इस कार्यशाला में प्रकृति से प्राप्त फल-फूल और सब्जियों से सूखे एवं गीले रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा के नेतृत्व में इस कार्यशाला को सफलता पूर्वक सम्पन्न किया गया। 
इस अवसर पर स्पेक्स के क्षेत्रीय समन्वयक नीरज उनियाल, चन्द्रा, सौम्या ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। हरिपुरकलां से तुलसी देवी, रीता देवी, सीमा रयाल, रेखा रयाल, भावना पाण्डेय, जमुना देवी, कविता बिष्ट, रेखा नेगी एवं शेरगढ से सुधा रानी, रेनु, मंजु, मंनजीत कौर, उषा देवी, जसप्रीत, रेणु, माला, शीतल, रानी खंडूरी , पिंकी, मीनू,अमरजीत कौर आदि ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। शर्मा ने बताया कि कार्यशाला का उददेश्य आम जनमानस के मध्य त्यौहारों के दिनों मे बाजार में हो रही ठगी व बिक रहे जानलेवा रसायनिक रंगों व खाद्य उत्पादों के प्रति जागरूकता को प्रसारित करना है। उन्होंने बताया  कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर रंग घातक रासायनिक तत्वों से मिलकर बनें होते हैं।
उन्होने कहा संस्था का उद्देश्य-विज्ञान को आमजन की दिनचर्या में सम्मिलित करना है जिससे वह वैज्ञानिक   दृष्टिकोण के साथ जीवन की गुणवत्ता को सुधारे। इसके साथ ही होली के रंगों से होने वाले घातक नुकसानों के प्रति सावधानी बरती जा सके।

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